नई दिल्ली/श्यामन। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और चीन के राष्ट्रपति शी जिनफिंग ने डोकलाम गतिरोध के खत्म होने के बाद आज पहली विधिवत द्विपक्षीय बैठक की। ब्रिक्स उभरते बाजार एवं विकासशील देशों के संवाद में शामिल हुए मोदी ने नौवें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन से इतर मुलाकात की। म्यांमा के अपने दौरे से ठीक पहले मोदी ने चीनी राष्ट्रपति से मुलाकात की। इस मुलाकात के दौरान उनके साथ राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल और विदेश सचिव एस जयशंकर सहित वरिष्ठ अधिकारी मौजूद थे।

चीन की सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ के अनुसार इस मुलाकात के दौरान मोदी ने ‘बेहद सफल’ ब्रिक्स शिखर सम्मेलन को लेकर शी को बधाई दी। यह बैठक उस वक्त हुई है जब दोनों देश 73 दिनों के डोकलाम गतिरोध के पैदा हुई कड़वाहट को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं।
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बीते 28 अगस्त को भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि नई दिल्ली और बीजिंग ने डोकलाम इलाके से अपने सैनिकों को हटाने का फैसला किया है।  भारतीय अधिकारियों ने पहले संकेत दिया था कि दोनों नेता विश्वास बहाली के कदमों के उपायों पर चर्चा कर सकते हैं। डोकलाम गतिरोध के बाद दोनों देशों में यह भाव आया है कि अब ‘आगे बढ़ा जाए’। इससे पहले मोदी ने मिस्र के राष्ट्रपति अब्दुल फतह अल-सीसी के साथ द्विपक्षीय बैठक की।

चीन में मोदी ने की अपने मन की बात
श्यामन में चल रहे ब्रिक्स समिट में पीएम मोदी ने जोर-शोर से आतंकवाद का मुद्दा उठाया। इतना ही नहीं उनके दबाव का असर भी दिखा और सभी ब्रिक्स देशों ने भी इस पर चिंता जाहिर की। ब्रिक्स श्यामन 2017 के घोषणापत्र में आतंकवाद का जिक्र किया गया है। इस घोषणापत्र में लश्कर-ए-तयैबा, जैश-ए-मोहम्मद समेत कुल 10 आतंकी संगठनों का जिक्र है। इसमें लिखा गया है कि हम लोग आसपास के इलाके में फैल रहे आतंकवाद और सुरक्षा की घटनाओं पर चिंता व्यक्त करते हैं।

घोषणापत्र में साफ तौर पर कहा गया है कि सभी ब्रिक्स देश आतंकवाद के खिलाफ मिलकर लड़ेंगे। उल्लेखनीय है कि चीन ने  ब्रिक्स से पहले कहा था कि आतंकवाद का मुद्दा उठाने के लिए यह सम्मेलन उचित जगह नहीं इसलिए इस पर चर्चा नहीं होगी लेकिन भारत ने चीन की धरती पर ही पाकिस्तान को एक बार फिर से बेनकाब करने का मौका नहीं गंवाया।