इस्लामाबाद। लगता है पाकिस्तान पर अमरीका की धमकी का असर होने लगा है। पाक सरकार विदेश में आतंकी संगठनों के साथ रह रहे अपने नागरिकों के आंकड़े जुटा रही है। उसे इस बात की आशंका है कि ईराक में आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट (ISIS) के सिमटते दायरे के चलते वे लौटकर मुल्क में हमला कर सकते हैं।

पश्चिम एशिया में आइएस के उभार के बाद उससे जुड़ने के लिए करीब 100 पाकिस्तानी नागरिक सीरिया और ईराक गए थे। नैशनल एसैंबली की आतंरिक मामलों पर बनी स्थायी समिति ने मंगलवार को बताया कि राष्ट्रीय आतंक रोधी प्राधिकरण (NACTA) ने आंकड़े जुटाने का काम शुरू कर दिया है।

डॉन न्यूज ने NACTA के प्रमुख एहसन गनी के हवाले से बताया कि प्राधिकरण ने यमन, ईराक और सीरिया जैसे युद्ध प्रभावित देशों में लड़ने वाले संदिग्ध आतंकियों के आंकड़े जुटाने का काम पूरा कर लिया है। गनी ने आतंकियों के वित्तीय नैटवर्क को ध्वस्त करने के लिए उठाए गए उपायों का भी विवरण दिया। उन्होंने बताया कि करीब 8 हजार संदिग्धों में से 5 हजार के बैंक अकाउंट जब्त कर लिए गए हैं।
उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान की नेशनल एसैंबली द्वारा ट्रंप के देश के खिलाफ शत्रुतापूर्ण और धमकी भरे बयानों की निंदा के बाद ट्रंप प्रशासन ने बुधवार को कहा कि पाकिस्‍तान में रह रहे आतंकी समूहों के खिलाफ इस्‍लामाबाद की ओर से निर्णायक कार्रवाई की आवश्‍यकता है। विदेश विभाग के प्रवक्‍ता  बताया, ‘हम पाकिस्‍तान के साथ हमारे सहयोग को महत्‍व देते हैं और इसे जारी रखना चाहते हैं।‘

प्रवक्‍ता ने आगे कहा कि ट्रंप की ओर से यह स्‍पष्‍ट किया जाता रहा है कि, हम पाकिस्‍तान से इस बात की उम्‍मीद कर रहे हैं कि वहां रहने वाले आतंकी संगठन जो अन्‍य क्षेत्रों के लिए खतरनाक है, उसके खिलाफ पाक सरकार सख्‍त कार्रवाई करे।‘ प्रवक्ता ने कहा, ‘अमरीका के हितों के लिए यह महत्वपूर्ण है कि पाकिस्तान आतंकी पनाहगाह को रोके।‘  बता दें कि पाकिस्‍तान की ओर से ट्रंप प्रशासन के अधिकारियों के साथ करीब तीन बैठकों को रद्द कर दिया है। उधर, रेक्‍स टिलरसन ने कहा, ‘हम आतंकियों के खिलाफ पाकिस्‍तान की सुरक्षा में उनकी मदद को तैयार हैं।‘