पेइचिंग/ नई दिल्ली
डोकलाम को लेकर चीनी मीडिया बार-बार भारत को युद्ध की धमकी देने से बाज नहीं आ रहा है। मंगलवार को चीन के सरकारी अखबार ने पीएम मोदी को 1962 की नेहरू वाली 'गलती' न दोहराने की नसीहत दी थी, तो बुधवार को भारत को चेतावनी देते हुए कहा कि भारत और चीन के बीच युद्ध का काउंटडाउन अब शुरू हो चुका है। इधर केंद्रीय रक्षा मंत्री अरुण जेटली ने बुधवार को राज्यसभा में कहा कि भारत ने 1962 के युद्ध से सबक लिया है और देश की सेना हर हालात से निपटने में सक्षम है। हालांकि जेटली ने सीधे डोकलाम का जिक्र नहीं किया, लेकिन चीन की धमकियों की मद्देनजर जेटली का यह बयान काफी अहम माना जा रहा है।


'...तो खुद को कोसेगा भारत'
चीनी अखबार ने अपने संपादकीय में लिखा कि डोकलाम में अगर भारत ने अपनी सेना को पीछे नहीं किया तो बाद में उसके पास खुद को कोसने के सिवा कुछ नहीं बचेगा। आगे लिखा गया, 'दोनों देशों की सेनाओं के बीच युद्ध का काउंटडाउन शुरू हो चुका है। समय उस दिशा में आगे बढ़ रहा है जहां समाधान का कोई रास्ता नहीं बचेगा। गतिरोध सातवें हफ्ते में प्रवेश कर रहा है और इसी के साथ शांतिपूर्ण हल का रास्ता बंद होता जा रहा है।'


'होश में नहीं आ रहा भारत'

अखबार ने यह भी लिखा है कि भारत ने लगातर चीन की चेतावनियों को नजरअंदाज किया है। संपादकीय में कहा गया है, 'जिस किसी के बार भी देखने के लिए आंखें हैं और सुनने के लिए कान हैं, उस तक मेसेज पहुंच जाना चाहिए था। लेकिन भारत को होश में आने से इनकार कर रहा है और अपने सैनिकों को वहां से वापस नहीं बुला रहा है।'


'1962 से हमने लिया सबक'
चीन से मिल रही युद्ध की धमकियों के बीच रक्षामंत्री अरुण जेटली ने राज्यसभा में बुधवार को कहा कि भारतीय सशस्त्र बल देश की सुरक्षा के सामने उत्पन्न किसी भी चुनौती से निपटने में सक्षम हैं। उन्होंने रेखांकित किया कि 1962 के युद्ध से सबक लिया गया है। महात्मा गांधी द्वारा 1942 में शुरू किए गए भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ मनाने के लिए हुई विशेष चर्चा में जेटली ने कहा कि इन दशकों में भारत के सामने कई चुनौतियां खडी हुईं, लेकिन 'हम गर्व के साथ कह सकते हैं कि प्रत्येक चुनौती के साथ देश मजबूत होता गया।'
 

'सैनिकों की क्षमता पर पूरा भरोसा'
उन्होंने कहा, 'भारत ने चीन के साथ 1962 के युद्ध से यह सबक सीखा कि अपने सशस्त्र बलों को पूर्ण सक्षम बनाना होगा क्योंकि आज भी हमारे देश के समक्ष हमारे पड़ोसी देशों की ओर से चुनौतियां हैं।' जेटली ने कहा कि सशस्त्र बल 1965 और 1971 (भारत-पाक युद्ध) के घटनाक्रमों से और मजबूत हुए। उन्होंने कहा, 'मैं सहमत हूं कि कुछ चुनौतियां आज भी हैं। कुछ लोगों की हमारी संप्रभुता और अखंडता पर नजर है, लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि हमारे वीर सैनिक हमारे देश को सुरक्षित रखने की क्षमता रखते हैं, चाहे चुनौतियां पूर्वी सीमा पर हों या पश्चिमी सीमा पर।' उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान द्वारा जम्मू-कश्मीर के 1948 में कब्जाए गए हिस्सों को वापस पाने की देश के लोगों में प्रचंड इच्छा है।


गौरतलब है कि इसके पहले भी चीन ने भारत को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर भारतीय सैनिक डोकलाम में पीछे नहीं हटते हैं तो कि इसके गंभीर नतीजे होंगे। डोकलाम को चीन अपना इलाका बताता है। भारत ने चीन को सुझाव दिया है कि दोनों सेनाएं एक साथ वहां से पीछे हटें। भारत का मानना है कि डोकलाम भूटान का इलाका है, लेकिन चीन इसे मंजूर नहीं करता।