वक्री शनि आज से देगा कर्मों के अनुसार अच्छे-बुरे फल

कर्मफल दाता शनि आज 6 अप्रैल को धनु राशि में सुबह 10.35 बजे केतु के नक्षत्र में वक्री होने जा रहा है। शनि 25 अगस्त 2017 तक 142 दिनों तक वक्री अवस्था में रहेंगे। ज्योतिषी संजय चौधरी के अनुसार काल पुरुष कुंडली में शनि 10वें व 11वें भाव का स्वामी है। 11वें भाव का स्वामी होने के कारण शनि बाधक भी बन जाता है तथा वह कड़े अनुशासन की पालना करता है। उन्होंने कहा कि वक्री अवस्था में शनि पिछले कर्मों के अनुसार मनुष्य को अच्छे व बुरे फल प्रदान करता है इसलिए जिन लोगों ने पिछले समय के दौरान अच्छे कर्म किए होंगे, उन्हें वक्री शनि अच्छे फल देगा, जबकि अन्य को दंडित करेगा। 


उन्होंने कहा कि शनि आज बृहस्पतिवार को वक्री अवस्था में जा रहे हैं। बृहस्पतिवार का स्वामी गुरु ग्रह पहले ही कन्या राशि में वक्री अवस्था में चल रहे हैं। भारत की कुंडली में शनि 11वें घर में गोचर में संचार कर रहे हैं तथा वह 9वें व 10वें घर का स्वामी है। 9वां घर धर्म, न्यायपालिका, विदेशी संबंधों, पवित्र व धार्मिक पुस्तकों से जुड़ा होता है जबकि 10वां घर सरकार से संबंध रखता है इसलिए 9वें व 10वें घर का स्वामी होने के नाते शनि का आठवें घर में वक्री अवस्था में आना विदेशी वर्करों के लिए कठिन समय दर्शाता है इसलिए जो भारतीय विदेशों में कार्यरत हैं, उनके लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं। एच 1-बी वीजा को लेकर विवाद और भड़क सकता है। उन्होंने कहा कि वक्री शनि द्वारा पूर्व व मौजूदा व भविष्य को ध्यान में रखकर फल दिया जाएगा। बुरे कर्म करने वालों को शनि द्वारा अगले 142 दिनों में मजा चखाया जाएगा।


इसी तरह से अच्छे लोगों के दिन और अच्छे आएंगे। वक्री शनि के बुरे प्रभावों को दूर करने के लिए गरीबों व जरूरतमंदों की मदद सबसे बेहतर उपाय रहेगा। इसी तरह से फैक्टरी वालों को अपने वर्करों व नौकरों को उचित वेतन देना उनके लिए शुभ रहेगा। गोचर में शनि का अगर जन्म के सूर्य पर प्रभाव पड़ेगा तो ऐसी स्थिति में कार्य क्षेत्र में परिवर्तन होने के संकेत मिल रहे हैं।