गोरखपुर : गजब मामला है। रेलवे के अधिकारी और कर्मचारी एक ट्रेन की खोज में हलकान हैं। यह ट्रेन 14 दिन से लापता है। अब तक इतनी ही जानकारी मिल सकी है कि इसे हाजीपुर स्टेशन पर आखिरी बार देखा गया था। इसके बाद यह कहां गई, इस बारे में न पूर्वोत्तर रेलवे को पता है और न ही पूर्व-मध्य रेलवे को।
रेलवे सूत्रों के मुताबिक 25 अगस्त की रात गोरखपुर-नरकटियागंज रूट पर घुघली स्टेशन के पास एक मालगाड़ी के नौ डिब्बे पलटने से रूट बाधित हो गया था। ऐसे में इस रूट की ट्रेनों को देवरिया, छपरा और बनारस रूट से चलाया गया। गोरखपुर-मुजफ्फरपुर पैसेंजर ट्रेन को भी बदले हुए रूट से भेजा गया। लेकिन इंटरलॉकिंग की वजह से यह रूट भी बंद हो गया और ट्रेन को हाजीपुर में ही रद्द करना पड़ा।
हाजीपुर में ट्रेन की बोगियां खड़ी कर दी गईं। करीब चार दिन बाद जब सभी रूट सामान्य हो गए तो इस पैसेंजर ट्रेन को फिर चलाने का फैसला किया गया, लेकिन तभी पता चला कि ट्रेन तो हाजीपुर में है ही नहीं। रेलवे के ऑफिसर ढूंढ-ढूंढ कर परेशान हैं, लेकिन ट्रेन का पता नहीं लग रहा। हालांकि, उन्होंने किसी तरह 10 बोगियों की व्यवस्था कर पैसेंजर ट्रेन को बहाल कर दिया है।
यहां हुई चूक
समस्तीपुर मंडल की एक पैसेंजर ट्रेन रैक मरम्मत के लिए गोरखपुर यार्ड भेजी गई थी। यहां से वह ठीक कर समय से लौटाई नहीं गई। इस बीच जब गोरखपुर-मुजफ्फरपुर पैसेंजर ट्रेन की रैक हाजीपुर पहुंची तो वहां के कर्मचारियों को लगा कि हमारी रैक लौट आई है। इसके बाद संभवत: उस रैक को किसी और रूट पर भेज दिया गया। लेकिन कर्मचारियों ने पूर्वोत्तर रेलवे से संपर्क कर यह जानने का प्रयास नहीं किया तो यह वही रैक है या नहीं। इसी तरह की चूक पूर्वोत्तर रेलवे ने भी की। उसने हाजीपुर से ट्रेन न लौटने पर समय रहते कोई कार्रवाई नहीं की।
ऐसे होती है मॉनिटरिंग
देश भर में ट्रेनों के एक-एक कोच और इंजन की मॉनिटरिंग के लिए कोचिंग ऑपरेशन इंफर्मेशन सिस्टम (सीओआईएस) का उपयोग किया जाता है। इस सिस्टम पर आरम्भिक स्टेशन से ट्रेन चलने से पहले ही हर कोच का नम्बर व गाड़ी के कुल डिब्बों की फीडिंग की जाती है। इसी आधार पर ट्रेनों के चार्ट में कोच नम्बर फीड किए जाते हैं। इसके बाद रास्ते के हर स्टेशन पर सीओआईएस के मॉनिटर पर ट्रेन का हर डेटा मिल जाता है। साल में एक बार रेलवे अपनी सभी बोगियों की गणना कराता है। किसी एक दिन के कुछ घंटे के भीतर एक साथ रेलवे के हजारों कर्मचारी रेलवे की बोगियों की गणना करते हैं। अब तभी इस रैक का पता लगने की उम्मीद है।
14 दिन से रेलवे अधिकारियों को नहीं मिल रही गोरखपुर-मुजफ्फरपुर पैसेंजर ट्रेन
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