जबलपुर। रेलवे की सुरक्षा पर उनके अधिकारी सवाल खड़े कर रहे हैं। ऐसा ही एक बड़ा मामला सामने आया है। रेलवे यार्ड (माल गोदाम) की सीमा में रोजाना गुमनाम ट्रैकों की भीड़ लग रही है। रात होते ही यार्ड परिसर में एक के बाद एक सैकड़ों ट्रक खड़े किए जाते हैं, लेकिन न तो इनका रिकार्ड रखा जाता है न ही इनकी चैकिंग हो रही है।

सवाल यह है कि ये ट्रक, यार्ड में माल लोड करने या उतारने नहीं आते, बल्कि अवैध तौर पर पार्क किए जा रहे हैं। ट्रकों की जानकारी न होने से यार्ड से गुजरने वाली ट्रेन और ट्रैक पर खतरा बढ़ गया है। इसकी जानकारी आला अधिकारियों को भी है।

जनवरी में खबर, जून तक कुछ नहीं हुआ

सूत्रों के मुताबिक यार्ड में अवैध ट्रकों की पार्किंग और उससे रेलवे ट्रैक को खतरे की जानकारी पश्चिम मध्य रेलवे के जीएम रमेश चंद्रा समेत चीफ ऑपरेटिंग मैनजर और चीफ कमर्शियल मैनजर तक पहुंची थी। इतना ही नहीं आरपीएफ डीआईजी से इसकी सुरक्षा को लेकर चर्चा भी हुई। जनवरी में तैयार रिपोर्ट पर जून तक में अमल नहीं हो सका है। आला अधिकारियों ने इस मामले में खुद जिम्मेदारी लेने की बजाए, एक-दूसरे की जिम्मेदारी डाल दी।

गेट पास नहीं, सुरक्षा पर सवाल

दरअसल इन ट्रकों को पार्क करने के एवज में यहां ड्यूटी करने वाले कर्मी और आरपीएफ के कुछ जवानों को एक निश्चित राशि भी मिलती है। सूत्रों के मुताबिक इन ट्रकों के मालिकों से एक दिन से लेकर एक माह तक का किराया लिया जाता है और ट्रकों की सुरक्षा की जाती है। रेलवे नियम के मुताबिक यहां आने वाले ट्रकों को रेलवे गेट पास होना था, लेकिन अवैध पार्किंग के चलते ऐसा नहीं किया गया। रेलवे अधिकारियों को जानकारी होने के बाद भी सुरक्षा में चूक होने से सवाल खड़े हो गए हैं।

यह उठे सवाल

- आखिर अवैध ट्रैकों की पार्किंग कैसे हो रही है

- इसकी जानकारी सीनियर डीओएम को है, फिर भी

- आरपीएफ और रेलवे के जिम्मेदारी अधिकारी क्या कर रहे हैं

- गेट पास न लिए जाने की वजह क्या है

- यहां दुर्घटना हुई तो इसका जिम्मेदारी कौन होगा

- जनवरी से जून तक क्या करते रहे अधिकारी