इंदौर। शादी की पहली ही रात पत्नी का संबंध बनाने से इंकार करना कोर्ट ने तलाक का आधार माना। पति को तलाक की डिक्री का हकदार करार देते हुए विवाह बंधन से मुक्त किया। कोर्ट ने माना कि संबंध स्थापित नहीं करने और बीमारी का बहाना बनाकर दांपत्य निर्वाह नहीं करना शारीरिक व मानसिक क्रूरता है।


कुटुंब न्यायालय के न्यायाधीश महेंद्र अरोरा ने दूध व्यापारी भूपेश जोशी निवासी गुमाश्ता नगर के पक्ष में तलाक की डिक्री दी। वकील केपी माहेश्वरी ने बताया कि भूपेश का विवाह 25 नवंबर 2007 को जयहिंद नगर बाणगंगा की संगीता से हुआ था। शादी के पहले ही दिन से उसने दांपत्य संबंधों का निर्वाह नहीं किया।



उसने संबंध बनाने से इंकार किया। बीमारी का बहाना बनाया और एक साल बाद मायके चली गई। वह आठ साल से ससुराल नहीं आई। उलटा ससुरालवालों पर दहेज प्रताड़ना का केस कर दिया। भूपेश ने तलाक की मांग करते हुए कोर्ट में कहा कि पत्नी में स्त्रीजन्य प्राकृतिक गुणों का अभाव है और वह संतानोपत्ति के योग्य नहीं है।