नई दिल्ली। केरल के राज्यपाल का पद छोड़कर दिल्ली वापस आई शीला दीक्षित को कांग्रेस संगठन में अहम भूमिका दी जा सकती है। लोकसभा चुनावों में मिली हार के बाद संगठन में हावी असंतोष को देखते हुए पार्टी दीक्षित के राजनीतिक कौशल का उपयोग करना चाह रही है। संकेत मिले हैं कि पार्टी आलाकमान के बेहद करीब मानी जानी वाली शीला को पार्टी में होने वाले फेरबदल में महासचिव की भूमिका दी जा सकती है।
दरअसल, कांग्रेस आलाकमान के संकेत के बाद इस्तीफा देकर दिल्ली लौटने के साथ ही शीला दीक्षित ने सक्रिय राजनीति में वापसी के संकेत दिए थे। तिरुवनंतपुरम से लौटने पर शीला दीक्षित ने कहा था, मैं दिल्ली की स्थायी निवासी हूं, बाकी कुछ नहीं कहूंगी कि मेरी भूमिका तय करने का अधिकार पार्टी नेतृत्व को है। सूत्रों के मुताबिक दिल्ली विधानसभा चुनाव में मिली हार और उनके 15 साल के कार्यकाल को देखते हुए पार्टी उन्हें राज्य की राजनीति में दोबारा नहीं उतारेगी। पार्टी दूसरी पंक्ति के नेताओं के प्रदर्शन से संतुष्ट है।
ऐसे में विधानसभा चुनावों के बाद होने वाले फेरबदल में दीक्षित को पार्टी के केंद्रीय संगठन में महासचिव बनाया जा सकता है। गौरतलब है कि शीला दीक्षित की दिल्ली की राजनीति में वापसी को लेकर पार्टी की राज्य इकाई खासी असहज है। पार्टी में लंबे समय से राज्य स्तर पर संघर्ष कर रहे नेताओं को लगता है कि राज्य में पार्टी की बुरी हालत को देख आलाकमान कहीं एक बार फिर दिल्ली में दीक्षित को ही आगे न कर दे।
शीला दीक्षित बनेंगी कांग्रेस महासचिव
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