नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी ने सोमवार को दिल्ली में डॉ. बी.आर. अंबेडकर नेशनल मेमोरियल की नींव रखी। यह मेमोरियल 2018 में पूरा होगा। इस मौके पर मोदी ने अपोजिशन पर निशाना साधा। उन्होंने कहा, ''हम लोग वो हैं, जिनको कुछ लोग बिल्कुल पसंद ही नहीं करते। हमें देखना तक नहीं चाहते। उन्हें बुखार आ जाता है। ...और बुखार में आदमी कुछ भी बोल देता है। मन का आपा भी खो देता है।'' मोदी ने कहा- मार्टिन लूथर किंग की तरह हैं अंबेडकर...
- अंबेडकर मेमोरियल लेक्चर में मोदी ने रिजर्वेशन के बारे में कहा, ''मुझे याद है कि जब वापजेयी जी की सरकार बनी तो चारों तरफ हो-हल्ला मचा कि ये भाजपा वाले आ गए हैं, अब आपका आरक्षण खत्म होगा।''
- ''एमपी और गुजरात में कई सालों से बीजेपी राज कर रही है। महाराष्ट्र, पंजाब, हरियाणा में है। हमें दो-तिहाई बहुमत से अवसर मिला। लेकिन कभी भी दलित, पीड़ित के आरक्षण को खरोंच नहीं आने दी। फिर भी झूठ बोला जाता है।''
- ''मैंने एक बार रैली में कहा था- खुद बाबा साहब भी आ जाएं तो दलितों से उनका रिजर्वेशन वापस नहीं ले सकते।''
- ''बाबा साहब ने तो राष्ट्र-निष्ठा की प्रेरणा दी थी, लेकिन कुछ लोग सिर्फ राजनीति चाहते हैं। लेकिन वे नहीं जानते कि बाबा साहब जैसे महापुरुष के सामने हम कुछ भी नहीं हैं। कुछ लोग राजनीति करते हैं, लेकिन इससे समाज दुर्बल होता है। इससे राष्ट्र को सबल नहीं बना सकते।''
- ''हम बाबा साहेब को दलितों का मसीहा बताकर अन्याय करते हैं। उन्हें सीमित न करें। वे हर वर्ग के शोषित, कुचले, दबे लोगों की आवाज बनते थे।''
- ''बाबा साहेब को सीमाओं में न बांधे। उन्हें विश्व मानवता के रूप में देखें। दुनिया मार्टिन लूथर किंग काे जिस तरह देखती है, उसी तरह हमारे लिए बाबा साहेब अंबेडकर हैं।''
- ''14 अप्रैल 2018 को मैं बाबा साहेब के स्मारक का शिलान्यास करूंगा। यह दिल्ली की आइकॉनिक बिल्डिंग्स में शामिल होगा। हमारे लिए यह प्रेरणास्थली रहेगा। आने वाली पीढ़ियों के लिए इससे बेहतर प्रेरणास्थली और क्या हो सकती है?''
- ''दुख की बात है कि 60 साल में इस पर काम नहीं हुआ। 2004 में वापजेयी जी ने स्मारक की आधारशिला रखी थी। बाद की सरकार ने इस पर काम नहीं किया।''
- ''इसलिए मानवता में जिस-जिस का विश्वास है, उनके लिए यह जानना जरूरी है कि बाबा साहब मानवीय मूल्यों के रखवाले थे।''
बाबा साहब के काम में बदले की भावना नहीं थी
- मोदी ने कहा, ''जिसका बचपन अन्याय, उपेक्षा, उत्पीड़न में बीता हो, जिसने अपनी मां को अपमानित होते देखा हो, मुझे बताइए वह मौका मिलते ही क्या करेगा?''
- ''वह यही कहेगा कि तुम मुझे पानी नहीं भरने देते थे, तुम मुझे मंदिर नहीं जाने देते थे, तुम मेरे बच्चों को स्कूल में एडमिशन नहीं लेने देते थे।''
- ''यह भाव मनुष्य के स्तर पर स्वाभाविक है। लेकिन जो मानव से ऊपर है, वह बाबा साहब अंबेडकर थे। जब हाथ में कलम थी, कोई भी निर्णय करने की ताकत थी, तो बाबा साहब के शब्दों-वाणी में कटुता नहीं नजर आती थी। बदले का भाव नहीं था।''
- ''उनका भाव यह था कि कभी-कभार खाना खाते समय दांतों के बीच जीभ कट जाती है, लेकिन हम दांत तोड़ नहीं देते, क्योंकि हमें पता है कि दांत भी मेरे हैं, जीभ भी मेरी है। बाबा साहब के लिए सर्वण भी उनके थे, दलित भी उनके थे।''
अंबेडकर के प्रोग्राम में सरदार पटेल की तारीफ, नेहरू सरकार पर निशाना
- मोदी ने कहा, ''देश में एक सरदार वल्लभ भाई पटेल थे, दूसरे बाबा साहेब अंबेडकर थे।''
- ''देश जब आजाद था, तब यह कई राजे-रजवाड़ों में बिखरा पड़ा था। शासन तंत्र बिखरा हुआ था। अंग्रेजों का इरादा था कि देश बिखर ही जाए। देश को उन्होंने बुरी हालत में छोड़ा।''
- ''सरदार पटेल ने राष्ट्र की एकता के लिए सभी राजे-रजवाड़ों को कूटनीति-कौशल्य द्वारा एक करके दिखाया।''
- ''एक तरफ राजनीतिक विश्वास था, दूसरी तरफ सामाजिक बिखराव था। हमारे यहां ऊंच-नीच का भाव था। जाति-भाव का जहर था। लेकिन बाबा साहब और सरदार पटेल ने इसे दूर करने का काम किया।''
- ''हमारे देश में इतिहास को या तो दबोचा जाता है या डायल्यूट किया जाता है। एक बार बाबा साहेब को मंत्रि परिषद से इस्तीफा की नौबत आ गई थी।''
- '' उनके समय एक बिल पर काम चल रहा था। बिल में महिलाओं को संपत्ति-परिवार में समान हक दिलाने का जिक्र था। ये टाटा-बिड़ला की बेटियों के साथ-साथ दलित बेटियों के लिए भी था।''
- ''उस वक्त की सरकार इन प्रोग्रेसिव बातों के खिलाफ थी। यह कहा गया कि बेटी तो बहू बनकर चली जाती है। ये कैसे होगा। ऐसे वक्त पर बाबा साहब को लगा कि अगर भारत की नारी को हक नहीं मिला तो फिर उस सरकार का हिस्सा भी नहीं बन सकते। उन्होंने वह सरकार छोड़ दी थी।''
- ''जो बातें बाबा साहब ने सोची थी, वो बाद में बदलते वक्त और सोच के साथ सरकार को माननी पड़ी।''
बाबा साहब को मौका नहीं मिलने का देश को घाटा हुआ
- मोदी ने कहा- ''हमने बजट में देश में तालाब और वाटर-वे के प्रावधान किए हैं। ये मूल विचार बाबा साहेब अंबेडकर के थे, जिन्होंने उस वक्त भारत के वाटर-वे की ताकत काे समझा था।''
- ''उसे वे आगे बढ़ाना चाहते थे। लंबे वक्त तक उन्हें सरकार में सेवा का मौका मिलता तो जो फैसला हमने अभी किया, वह 60 साल पहले हो जाता।''
- ''बाबा साहब के नहीं होने का देश को बहुत ज्यादा घाटा हुआ है। लेकिन हमने यह दिखा दिया कि बाबा साहब का कोई भक्त सरकार में आता है तो 60 साल बाद भी काम कैसे होता है, यह नजर आता है।''
मोदी और दलित
- पिछले साल नवंबर में ब्रिटेन में डॉक्टर अंबेडकर के नाम पर बने मेमोरियल का एनॉग्रेशन किया था।
- ये मेमोरियल उस घर को रेनोवेट करके बनाया गया था जहां 1921-22 के दौरान बाबा साहब रहे थे।
- पिछले साल दिसंबर में दलित कारोबारियों के प्रोग्राम में हिस्सा लिया।
- इसी साल 22 जनवरी को बाबा साहब भीमराव आंबेडकर यूनिवर्सिटी के प्रोग्राम में शिरकत की। यहां दलित स्टूडेंट रोहित वेमुला के कथित सुसाइड की बात पर भावुक भी हुए।
- 22 फरवरी को मोदी बनारस में संत रविदास मंदिर गए।
मोदी ने कहा- बाबा साहब का भक्त आता है तो 60 साल बाद भी काम दिखता है
आपके विचार
पाठको की राय