चंडीगढ़: हरियाणा में आज एक बार फिर सतर्कता बढ़ी दी गई क्योंकि जाटों ने अल्टीमेटम दिया है कि अगर उनके आरक्षण के मुद्दे को हल नहीं किया गया तो वे फिर आंदोलन की राह पकडेंगे। जाटों ने सरकार को इसके लिये 72 घंटे का अल्टीमेटम दिया था जो समय सीमा आज रात समाप्त हो रही है। संवेदनशील जिलों में पुलिस और अर्धसैनिक बल सतर्क हैं तथा वे विभिन्न स्थानों पर फ्लैग मार्च कर रहे हैं।

सोमवार को विभिन्न जाट संगठनों ने मनोहर लाल खट्टर सरकार द्वारा मांग न माने जाने की स्थिति में आरक्षण आंदोलन फिर से शुरू करने की धमकी दी थी और सरकार को 72 घंटे की समयसीमा दी थी। पिछले महीने जाट आंदोलन ने राज्य को हिलाकर रख दिया था और इसमें 30 लोग मारे गए थे। केंद्र ने अर्धसैनिक बलों की 80 कंपनियां (करीब 800 कर्मी) हरियाणा में भेजी हैं जो रोहतक और झज्जर जैसे संवेदनशील जिलों में तैनात की गई हैं। पिछले महीने जाट आंदोलन में ये दोनों जिले सर्वाधिक प्रभावित हुए थे।

सुरक्षाबल पिछले महीने बड़े पैमाने पर हुई आगजनी और हिंसा के मद्देनजर लोगों को आश्वस्त करने के लिए फ्लैग मार्च भी कर रहे हैं। रोहतक रेंज के पुलिस महानिरीक्षक संजय कुमार ने आज कहा, हमें पहले ही अर्धसैनिक बल मिल चुका है। पुलिस अलर्ट पर है और हम सभी इंतजाम (कानून व्यवस्था की स्थिति बनाए रखने के लिए) कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि संवेदनशील क्षेत्रों और रोहतक के आसपास तैनाती के लिए राज्य के भीतर से भी अतिरिक्त पुलिस बल की व्यवस्था की गई है।

कुमार ने कहा, हमने पर्याप्त पुलिस सुरक्षा इंतजाम किए हैं। हमारे पास पर्याप्त बल है और आवश्यकता के हिसाब से तैनाती कर रहे हैं। हाल की हिंसा में सर्वाधिक प्रभावित हुए रोहतक, झज्जर तथा कुछ अन्य क्षेत्रों में स्थिति के बारे में पूछे जाने पर महानिरीक्षक ने कहा, फिलहाल स्थिति सामान्य है।

खबरों में कहा गया है कि अधिकारियों ने जींद और सोनीपत सहित कई शहरों में सुरक्षा बढ़ा दी है तथा अतिरिक्त सुरक्षाकर्मी तैनात किए हैं क्योंकि आरक्षण की मांग स्वीकार करने के लिए जाटों द्वारा दी गई समयसीमा आज समाप्त हो रही है। अखिल भारतीय जाट महासभा के अध्यक्ष हवा सिंह सांगवान ने कहा था, राज्य सरकार के पास 17 मार्च तक का समय है। अब तक सरकार ने हमारी किसी मांग पर कोई जवाब नहीं दिया है।

अखिल भारतीय जाट आरक्षण संघर्ष समिति के अध्यक्ष यशपाल मलिक ने कहा था, 17 मार्च को हम कार्रवाई के अगले तरीके पर फैसला करेंगे कि सड़कों, रेल पटरियों को जाम किया जाए या अन्य किसी तरह का आंदोलन किया जाए। मलिक ने कहा था कि राज्य सरकार को जाटों के लिए आरक्षण सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विधानसभा के मौजूदा बजट सत्र में विधेयक लाना चाहिए। उन्होंने कहा था कि यदि राज्य सरकार आरक्षण के मुद्दे पर कार्रवाई करने में विफल रहती है तो जाट समुदाय के सदस्यों को आंदोलन करना पड़ेगा।

इस बीच, सरकारी नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में आरक्षण देने के लिए जाटों और चार अन्य समुदायों को विशेष अन्य पिछड़ा वर्ग का दर्जा देने से संबंधित विधेयक के आज विधानसभा में रखे जाने की संभावना नहीं है। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि कुछ तकनीकी मुद्दे हैं जिनकी वजह से विधेयक को प्रसुतत करने में विलंब हो रहा है। सूत्रों ने बताया कि सत्तारूढ़ पार्टी में कुछ लोग जाट संगठनों की धमकी के चलते विधेयक प्रस्तुत किए जाने के विरोध में हैं। खेल मंत्री अनिल विज ने एक ट्वीट में कहा, जाट आरक्षण विधेयक लाया जाएगा, लेकिन जाट धमकी देना बंद करें।

जाट नौकरियों और शिक्षण संस्थानों में 10 प्रतिशत आरक्षण की मांग कर रहे हैं। वे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ दर्ज प्राथमिकियां रद्द किए जाने तथा आंदोलन में मारे गए लोगों के परिजनों को मुआवजा देने तथा कुरूक्षेत्र से भाजपा सांसद राजकुमार सैनी के खिलाफ कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। पिछले महीने जाट आंदोलन के दौरान बड़े पैमाने पर संपत्ति का नुकसान हुआ था और इस दौरान 30 लोग मारे गए थे। भाजपा सरकार ने दबाव में आकर घोषणा की थी कि जाट समुदाय के साथ चार अन्य जातियों, जाट सिख, त्यागी, बिश्नोई तथा रोर को आरक्षण देने के लिए आगामी बजट सत्र में विधेयक लाया जाएगा।

आंदोलन के हिंसक हो जाने के दौरान पुलिस प्रशासन सहित राज्य मशीनरी पूरी तरह फेल हो गई थी। भीड़ ने दुकानों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, स्कूलों आदि में तोड़फोड़, लूटपाट और आगजनी की थी। रोहतक हिंसा का केंद्र था तथा झज्जर, जींद, सोनीपत और कैथल जैसे अन्य जिलों में भी हिंसा फैल गई थी।