नई दिल्ली। दिल्ली में सरकार बनाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को चार हफ्ते का समय दिया है। केंद्र सरकार ने मंगलवार को कोर्ट को बताया कि ये मामला फिलहाल राष्ट्रपति के पास है। सरकार उनके आदेश का इंतजार कर रही है। कोर्ट ने सरकार को ये मोहलत देते हुए विधायकों की खरीद-फरोख्त की खबरों पर चिंता जताई।

केंद्र सरकार के मुताबिक दिल्ली के उपराज्यपाल नजीब जंग ने 4 सितंबर को राष्ट्रपति को चिट्ठी लिखकर राजनीतिक माहौल की जानकारी दी। उपराज्यपाल के मुताबिक विधानसभा में सबसे बड़ी पार्टी बीजेपी को सरकार बनाने का न्योता देना चाहिए। जनता पर चुनाव थोपना सही नहीं होगा। राष्ट्रपति इस सुझाव पर विचार कर अपनी राय देंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में विधायकों की खरीद-फरोख्त पर चिंता जताई लेकिन चूंकि मामला राष्ट्रपति के पास है इसलिए चार हफ्तों का समय देना उचित समझा।

सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता आम आदमी पार्टी ने एक स्टिंग ऑपरेशन का हवाला देते हुए विधायकों की खरीद-फरोख्त का मामला उठाया और दिल्ली में जल्द चुनाव कराने की मांग की। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अभी राष्ट्रपति की राय का इंतजार करना चाहिए और इन आरोपों पर अगली सुनवाई में विचार किया जाएगा। उधर सुप्रीम कोर्ट के बाहर भी सरकार बनाने को लेकर बीजेपी और आम आदमी पार्टी में जंग जारी है।

बीजेपी नेता सतीश उपाध्याय ने कहा कि अगर हमें एलजी बुलाएंगे तो हम देखेंगे। अगर सरकार बना सकेंगे तो बनाएंगे, नहीं बना पाएंगे तो हाथ जोड़कर मना कर देंगे।

वहीं आप नेता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि पता नहीं एलजी साहब कौन सी रिपोर्ट की बात कर रहे हैं। उनके पास वही चिट्ठी है जिसमें बीजेपी ने कहा था के हमारे पास नंबर नहीं हैं, हम सरकार नहीं बना सकते। फिर कौन सा गणित है जो वो बीजेपी को आमंत्रित कर रहे हैं। किस आधार पर आमंत्रित कर रहे हैं। लगता है कि एलजी बीजेपी के लिए बैटिंग कर रहे हैं।

एक तरफ विधायकों की खरीद-फरोख्त का खतरा तो दूसरी तरफ जनता के राजनीतिक अधिकारों का हनन। अब सबकी नजरें सुप्रीम कोर्ट की 10 अक्टूबर को होने जा रही सुनवाई पर टिकी हैं। तब तक केंद्र सरकार दिल्ली में चुनाव को लेकर कोई फैसला कर सकती है। अगर तब तक कोई सरकार नहीं बनती तो सुप्रीम कोर्ट देखेगा कि कोर्ट उपराज्यपाल को चुनाव कराने का आदेश दे सकता है या नहीं।