जबलपुर। हां मुझे गुल्लू से निकाह कबूल है... नगमा के इतना बोलते ही सेन्ट्रल जेल के नर्मदा खण्ड में तालियों की गड़गड़ाहट गूंज उठी। आमतौर पर सेन्ट्रल जेल में शाम को 6 बजे के बाद लॉकअप लगते ही सन्नाटा फैल जाता है। लेकिन शुक्रवार को जेल का नजारा काफी बदला हुआ था, कैदी एक स्वर में अपने साथी गुल्लू उर्फ गुलफाम को निकाह की बधाइयां देकर खुशियां मना रहे थे।
दरअसल न्यायाधीश आशीष दवंडे की अदालत की अनुमति पर निकाह का विशेष आयोजन सेन्ट्रल जेल में आयोजित हुआ। वर-वधु पक्ष के चार लोगों के साथ पहुंचे मौलवी ने जेल प्रशासन और कैदियों की मौजूदगी में 15 मिनट के भीतर अनूठे निकाह की रस्में पूरी कीं। जानकारों के अनुसार जबलपुर जेल के इतिहास में ये पहला मौका था।
कुछ माह पहले तय हुआ था निकाह
जेल अधीक्षक अलका सोनकर ने बताया कि छोटी ओमती आठ नल निवासी गुल्लू उर्फ गुलफाम को 24 दिसम्बर की शाम बेलबाग पुलिस ने 34 (2) आबकारी एक्ट के तहत जेल में दाखिल करवाया था। श्रीमती सोनकर के अनुसार गुल्लू का निकाह कुछ माह पूर्व बहोराबाग हनुमानताल निवासी नगमा से तय हो गया था।
दोनों के निकाह की तारीख 29 जनवरी को तय हुई थी, लेकिन जमानत न मिलने के कारण गुल्लू जेल से नहीं छूट पाया था। इसी वजह से गुल्लू और नगमा के वकीलों ने प्रथम श्रेणी न्यायाधीश आशीष दवंडे की अदालत में अर्जी
लगाकर जेल में ही निकाह की रस्में पूरी करने की अनुमति मांगी थी।
15 मिनट में हुआ निकाह
श्रीमती सोनकर के अनुसार शुक्रवार की शाम 5.30 बजे नगमा के साथ उसके दो परिजन और गुल्लू के दो परिजन मौलवी को लेकर पहुंचे और कोर्ट आदेश को दिखाया। श्रीमती सोनकर के मुताबिक चूंकि शाम 6 बजे के बाद किसी भी बंदी या कैदी को लॉकअप से बाहर नहीं रखा जा सकता। लिहाजा कोर्ट के आदेश पर नगमा और गुल्लू के निकाह की औपचारिकताएं 15 मिनट के भीतर पूरी की गई।
अनूठी शादी का नजारा पहली बार
श्रीमती सोनकर ने बताया कि उन्होंने अपने कार्यकाल में ऐसी अनूठी शादी का नजारा पहली बार देखा है। देश की कई जेलों में कोर्ट की विशेष अनुमति पर शादी और निकाह की बातें उन्होंने सिर्फ सुनी थीं, लेकिन पहली बार उन्हें ऐसा नजारा देखने को मिला।
निकाह कबूल है, कहते ही सेंट्रल जेल में गूंज उठी तालियां
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