इंदौर। कमेंटेटर सुशील दोषी और छायाकार भालू मोंढे को प्रतिष्ठित पद्मश्री सम्‍मान के लिए चुना गया है।सुशील दोषी खेल कमेंटरी के क्षेत्र में जाना माना नाम हैं। उन्‍होंने हिंदी क्रिकेट कमेंटरी को अपनी मौलिक शैली से नई पहचान दी है।

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कला फोटोग्राफी के लिए प्रसिद्ध छायाकार भालचंद्र मोंढे को उनके लोकप्रिय नाम भालू मोंढे के नाम से जाना जाता है। उन्‍होंने फोटोग्राफी के लिए कई पुरस्‍कार अपने नाम किए हैं।

हिंदी का सम्‍मान अौर गौरव

पुरस्‍कारक के बाद naidunia.com से अपनी पहली प्रतिक्रिया में सुशीलजी ने कहा कि यह हिदी भाषा का सम्‍मान और गौरव है। उन्‍होंने कहा कि अंग्रेजी के वर्चस्‍व के बीच अपनी पहचान बनाना सुखद है। इस पुरस्‍कार से दूसरे लोगों को प्रेरणा मिलेगी। पुरस्‍कार मिलना सिद्ध करता है कि देश में हिंदी का वर्चस्‍व बढ़ रहा है। उन्‍होंने कहा कि यह सम्‍मान लोगों के प्‍यार और हिंदी की सेवा का प्रतिफल है।

सरप्राइज अवाॅर्ड

छायाकार भालू मोंढे ने इस पुरस्‍कार को सरप्राइज बताते हुए कहा कि उन्‍होंने इसके लिए आवेदन नहीं किया। वे केवल मेहनत और लगन से अपने काम में यकीन रखते हैं। उन्‍होंने कहा कि यह पुरस्‍कार शहर और राज्‍य के लिए गौरव की बात है। उन्‍होंने श्‍वेत श्‍याम फोटोग्राफी से रंगीन और डिजिटल फोटोग्राफी तक के सफर को शब्‍दों में पिराेेते हुए कहा कि नए लोगों को सीखने की लगन रखनी चाहिये।

उन्‍होंने कहा कि अब तो मोबाइल कैमरे का युग भी चल रहा है। ऐसे में फोटोग्राफरों को अपने काम को तरजीह देनी चाहिये। केवल कैमरा रखना ही फोटाेग्राफी नहीं है। तकनीक की समझ के साथ लोगों को ज्ञान भी हासिल करना चाहिये। नैसर्गिक और प्राकृतिक फोटोग्राफी चुनौतीपूर्ण काम है। मैंने मध्‍यप्रदेश और छत्‍तीसगढ़ को अपना कैनवास रखा। अपने चित्रों के जरिए मैंने राज्‍य के प्राकृतिक वैभव और पर्यटन को नई ऊंचाइयां देने का काम किया।