कोच्चि : भाजपा के निलंबित सांसद कीर्ति आजाद ने आज कहा कि वह डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष करते रहेंगे और कोई भी उन्हें इस अभियान से डिगा नहीं सकता. एक दिन पहले ही क्रिकेट निकाय ने उनके तथा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मानहानि का एक मुकदमा दायर किया है.
 
भाजपा की अनुशासनिक कार्रवाई से अप्रभावित आजाद ने दिल्ली एवं जिला क्रिकेट एसोसिएशन (डीडीसीए) में कथित भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर वित्त मंत्री अरुण जेटली पर अपना हमला जारी रखा. क्रिकेट निकाय में भ्रष्टाचार संबंधी अपने आरोपों को दोहराते हुए आजाद ने 2008 में दिल्ली के फिरोजशाह कोटला स्टेडियम के नवीनीकरण में ‘‘बिना सबूत के लागत बढा़ने'' का दावा किया. आजाद ने यह भी कहा कि उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से समय मांगा है ताकि उनके सामने मामले को स्पष्ट कर सकें.
 
वह यहां एर्णाकुलम प्रेस क्लब द्वारा आयोजित ‘‘प्रेस से मिलिए '' कार्यक्रम में बोल रहे थे. डीडीसीए द्वारा उनके खिलाफ मानहानि मुकदमा दायर किए जाने पर आजाद ने कहा कि वह उन सब के प्रति ‘‘आभारी'' हैं जिन्होंने उनके खिलाफ एक मुकदमा दाखिल किया है. उन्होंने चेतावनी दी कि भ्रष्टाचार के खिलाफ एक के बाद एक और सबूत सामने आएंगे. आजाद ने कहा, ‘‘अगर आप भ्रष्टाचार में पीएचडी करना चाहते हैं, डीडीसीए जाइए. आप एक महीने में अपनी डिग्री हासिल कर लेंगे.''
 
आजाद ने कहा कि उनके मामले में भाजपा जो भी फैसला करेगी, वह उसका सम्मान करेंगे. उन्होंने कहा, ‘‘ लेकिन कोई भी मुझे डिगा नहीं सकता. मैं एक स्वतंत्रता सेनानी का पुत्र हूं. भ्रष्टाचार से लड़ने से मुझे कोई नहीं डिगा सकता. मैं अपनी आखिरी सांस या खून के आखिरी बूंद तक वैसा करता रहूंगा. यह हमारे बच्चों के भविष्य के लिए है और हमें अच्छे उद्देश्य के लिए साथ मिलकर लड़ना चाहिए.'' आजाद ने आरोप लगाया कि जब बीसीसीआई में भ्रष्टाचार की बात आती है तो राजग और संप्रग दोनों के नेता एकसाथ हो जाते हैं.
 
उन्होंने कहा, ‘‘वे सभी, चाहे मेरी पार्टी के हों या अन्य पार्टी के....सत्तारुढ़ या विपक्ष, वे सब एकसाथ होंगे....भ्रष्टाचार में एकजुट: इसलिए आपके सामने संप्रग और राजग है....बीसीसीआई में आप एकीकृत गठबंधन..यूए देखेंगे.'' उन्होंने डीडीसीए में कथित भ्रष्टाचार में सीबीआई जांच में निष्पक्षता को लेकर संदेह जताया. आजाद ने कहा, ‘‘ स्टेडियम पर 141 करोड़ रुपये खर्च हुए और अब भी जारी है.
 
कार्यकारी समिति द्वारा ईपीआईएल को ठेका देने के लिए शुरुआती 25 करोड़ रुपये की मंजूरी को छोड़कर लागत बढ़ने का कोई सबूत रिकार्ड में नहीं है. अगर उन्होंने निर्माण योजना बदली थी तो इसे मंजूरी मिलनी चाहिए थी. अगर भ्रष्टाचार नहीं है तो क्या है?'' उन्होंने आरोप लगाया कि डीडीसीए कार्यकारी समिति की बैठक के विवरण में लागत बढ़ने के बारे में आगे किसी मंजूरी का जिक्र नहीं है. क्रिकेटर से नेता बने आजाद ने कहा कि ऐसा प्रतीत होता है कि बाद में, दिसंबर 2012 में कार्यकारी समिति ने स्टेडियम से संबंधित व्यय को मंजूरी प्रदान कर दी.