श्रीनगर। जम्मू-कश्मीर में राज्यपाल शासन लागू होने तथा नई सरकार को लेकर असमंजस की स्थिति में रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की रस्म-ए-चहार्रुम अदा की गई। यह रस्म धार्मिक कम और सियासी ज्यादा रही क्योंकि इसमें कांग्र्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और भाजपा नेता नितिन गडकरी की शिरकत रही। समझा जा रहा है कि मुफ्ती की पुत्री महबूबा मुफ्ती प्रदेश में नया सियासी खाका खींचना चाहती हैं जिसके लिए वह दोनों दलों के संपर्क में है और अबतक सरकार बनाने का दावा भी पेश नहीं किया है।
कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने रविवार को दिवंगत मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हुए कहा कि उनके निधन से देश ने एक बड़ा सियासी नेता खोया है। फेयर व्यू में दिवंगत मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के रस्म-ए-चहार्रुम पर आयोजित शोकसभा में सोनिया गांधी ने पत्रकारों के साथ संक्षिप्त बातचीत में कहा कि मुफ्ती साहब की मौत हम सभी के लिए, बहुत बड़ा नुकसान है।
उनके साथ प्रदेश कांग्रेस प्रमुख जीए मीर, राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद और अंबिका सोनी भी थी। उन्होंने इस दौरान उन्होंने पीडीपी प्रमुख महबूबा मुफ्ती से भी वन-टू-वन मुलाकात की। लगभग 20 मिनट तक चली इस बैठक को लेकर हालांकि कोई खुलासा नहीं हुआ है, लेकिन कहा जा रहा है कि यह बैठक राज्य में पीडीपी के साथ कांग्रेस के संभावित गठजोड़ को लेकर ही थी। दिवंगत नेता के परिजनों के साथ अपनी सांत्वना जताने के बाद वह दिल्ली लौट गई।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने रविवार को यकीन दिलाया कि केंद्र सरकार दिवंगत मुख्यमंत्री मुफ्ती मुहम्मद सईद के सपनों को पूरा करने में हरसंभव मदद करेगी। अलबत्ता, उन्होंने भाजपा-पीडीपी गठबंधन सरकार के भविष्य और महबूबा मुफ्ती के बतौर मुख्यमंत्री शपथ लेने पर किसी भी तरह की प्रतिक्रिया से इन्कार किया।
शोक सभा में हिस्सा लेने आए थे। इस मौके पर पूर्व उप मुख्यमंत्री डॉ. निर्मल सिंह की मौजूदगी में पत्रकारों से बातचीत में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर के विकास और यहां शांति व लोकतंत्र की बहाली के लिए मुफ्ती सईद साहब पूरी तरह गंभीर थे।
राज्य में नई सरकार के गठन को लेकर जारी कयासों पर पूछे गए सवाल को टालते हुए उन्होंने कहा कि पूरा देश दिवंगत नेता मुफ्ती मुहम्मद सईद के शोक संतप्त परिवार के साथ इस दुख की घड़ी में खड़ा है। पीडीपी अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती के साथ शोक सभा के बाद हुई बैठक पर भी उन्होंने किसी तरह की प्रतिक्रिया से इन्कार किया।
सोनिया के दौरे से घाटी में सियासी हलचल तेज
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