नई दिल्ली: केरल सरकार की 10 सालों के भीतर राज्य में पूरी तरह से शराबबंदी लागू करने के तहत बनाई गई नीति पर सुप्रीम कोर्ट ने आज सुबह मुहर लगा दी। ओमान चांडी सरकार ने पिछले साल एक नीति पेश की थी जिसके मुताबिक सरकार 10 साल के भीतर राज्य को पूरी तरह से शराब मुक्त बना देगी। सिर्फ 5 स्टार होटलों को इस नीति के तहत शराब परोसने की अनुमति दी गई है।
सुप्रीम कोर्ट ने सरकार की इस नीति के तहत केरल के बारों में शराब बैन को जारी रखा है। केवल पांच सितारा होटलों में शराब परोसी जाएगी जबकि 2, 3 और 4 सितारा बार वालों की याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है।
आमतौर पर केरल में प्रत्येक निवासी प्रति वर्ष 8.3 लीटर अल्कोहल पी जाता है। राष्ट्रीय स्तर पर इसकी तुलना करें तो यह दोगुनी मात्रा है। राज्य में रम, विस्की, ब्रांडी ज्यादा पिए जाते हैं।
क्या है केरल सरकार की नीति...
शराब परोसे जाने को लेकर केरल सरकार ने राज्य में नई नीति बनाई थी। इसके तहत सिर्फ पांच सितारा होटलों में ही शराब परोसी जा सकेगी। राज्य के होटल और बार मालिकों ने इस नीति को हाइकोर्ट में चुनौती दी थी लेकिन हाई कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी, जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
केरल में सबसे अधिक होती है शराब की खपत...
केरल में सबसे अधिक 14.9 फीसदी शराब की खपत है। राज्य में शराब की नीति बनाई गई है जिसके तहत सरकार ही शराब की सप्लाई करती है और राज्य में शराब की 732 दुकानें हैं जहां से शराब खरीदी जा सकती है। राज्य में सिर्फ 20 पांच सितारा होटल हैं और सिर्फ उन्हें ही बार के लाइसेंस दिए गए हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केरल की शराब नीति पर लगायी मुहर
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