नई दिल्ली: हंगामेदार रहे लोकसभा के शीतकालीन सत्र की कार्यवाही आज अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई। नेशनल हेराल्ड मामले, वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस्तीफे की मांग, अरुणाचल प्रदेश तथा कुछ अन्य मुद्दों को लेकर विपक्ष के हंगामे के कारण सत्र के दौरान सदन की कार्यवाही कई बार बाधित हुई। 26 नवंबर को शुरू हुए इस सत्र के दौरान सदन की कुल 20 बैठकें हुई, 13 विधेयक पारित किए गए और नौ विधेयक पेश किए गए।
सदन में कुल 117 घंटे 14 मिनट काम हुआ जबकि हंगामे और व्यवधान के कारण आठ घंटे 37 मिनट बर्बाद हुए लेकिन इसकी पूर्ति के लिए 17 घंटे 10 मिनट अतिरिक्त कार्यवाही चलाई गई। लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन ने सदन की कार्यवाही अनिश्चितकाल के लिए स्थगित करते हुए इस हंगामे के कारण सत्र के दौरान कार्यवाही में बाधा आने का उल्लेख करते हुए कहा कि सभी को इस बात पर विचार करने की जरूरत है कि किसी मुद्दे पर संसदीय प्रक्रियाओं के तहत असहमति दर्ज कराए लेकिन अधिक से अधिक चर्चा और विधाई कार्य हो और गतिरोध कम से कम हो। उन्होंने उम्मीद जताई कि आगामी सत्रों में व्यवधान नहीं होगा और सार्थक चर्चाएं होंगी तथा वाद-विवाद होगा।
सदन में कामकाज के एक बड़े हिस्से के दौरान मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस के सदस्य सदन से अनुपस्थित रहे। उन्होंने उनके द्वारा उठाए गए मुद्दों पर सरकार की ओर से उचित कदम न उठाए जाने का आरोप लगाते हुए बहिर्गमन किया। कांग्रेस ने अरुणाचल प्रदेश में उसकी सरकार को अस्थिर करने का मुद्दा उठाने के साथ-साथ डीडीसीए में अनियमितताओं के मद्देनजर वित्त मंत्री अरुण जेटली के इस्तीफे की मांग की। उसने नेशनल हेराल्ड मामले के संदर्भ में सरकार पर विपक्षी दलों को परेशान करने का भी आरोप लगाया।
सत्र के शुरुआती दो दिन संविधान निर्माता डॉ़ भीमराव अंबेडकर की 125वीं जयंती के उपलक्ष्य में देश के संविधान के प्रति वचनबद्धता पर चर्चा की गई और सदन ने संविधान के सिद्धांतों और आदर्शों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त करने के लिए एक संकल्प पारित किया। लोकसभा ने इस सत्र के दौरान देश में असहिष्णुता की घटनाओं से उत्पन्न स्थिति, देश के कई हिस्सों में बाढ़ से उत्पन्न स्थिति तथा सूखे से उत्पन्न स्थिति पर चर्चा की। महंगाई पर भी चर्चा हुई लेकिन यह पूरी नहीं हो सकी।
हंगामेदार रहा लोकसभा का शीतकालीन सत्र
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