वाशिंगटन !   एक सर्वेक्षण से पता चला है कि 10 में से 8 भारतीय धार्मिक आजादी को बेहद महत्वपूर्ण मानते हैं। दुनिया के इस सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिक स्वतंत्र एवं निष्पक्ष चुनाव को धार्मिक आजादी की तुलना में काफी कम महत्व देते हैं। वाशिंगटन स्थित थिंक टैंक प्यू रिसर्च सेंटर के सर्वेक्षण में पता चला कि दुनिया भर में लोकतंत्र की बुनियादी बातों को जनसमर्थन हासिल है।
 यह सर्वेक्षण इस साल 5 अप्रैल से 21 मई के बीच 38 देशों में किया गया।  इसमें 40,786 वयस्कों से उनकी राय पूछी गई। सभी देशों में अधिकांश लोगों ने कहा कि इस बात का एक हद तक महत्व है कि वे जिस देश में रहते हैं वहां अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता है, आजाद मीडिया है और इंटरनेट की आजादी है।
सर्वेक्षण में पाया गया कि आधी या इससे अधिक की आबादी को ये स्वतंत्रताएं बेहद महत्वपूर्ण लगती हैं। सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया कि पूरी दुनिया में लोग धार्मिक आजादी को बहुत महत्व देते हैं। जितने देशों में सर्वे हुआ, उनमें कुल मिलाकर 74 फीसदी ने कहा कि अपने धर्म को मानने की आजादी का होना बेहद महत्वपूर्ण है। अमेरिका में 84 फीसदी लोगों ने कहा कि धार्मिक आजादी बहुत महत्वपूर्ण है। सर्वे से पता चला कि भारत, पाकिस्तान, इंडोनेशिया में 10 में से 8 लोगों ने कहा कि धार्मिक आजादी बेहद महत्वपूर्ण है। इस मामले में सबसे कम समर्थन जापान में दिखा। वहां महज 24 फीसदी लोगों ने कहा कि धार्मिक आजादी बहुत महत्वपूर्ण है। सर्वेक्षण में पाया गया कि लोग चुनाव को लोकतंत्र का केंद्र मानते हैं। 61 फीसदी लोगों ने कहा कि निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव का होना और कम से कम दो राजनैतिक दलों का होना बहुत जरूरी है। लेकिन, ऐसे भी देश हैं जिनमें आधे से कम लोग मानते हैं कि स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों का होना बेहद जरूरी है। इनमें भारत भी है। चुनाव के बारे में भारतीयों जैसी ही राय पाकिस्तान, तंजानिया, इंडोनेशिया और वियतनाम के लोगों की है। हर चार में से तीन भारतीयों (71 फीसदी) का मानना है कि महिलाओं के पास पुरुषों जैसे अधिकार हैं। सभी देशों को मिलाकर देखने पर यही औसत 65 फीसदी का आया है। 38 फीसदी भारतीयों का मानना है कि लोग बिना सेंसरशिप के इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकते हैं। इंटरनेट पर किसी तरह की रोक लगाने के खिलाफ राय भी सामने आई। 50 फीसदी लोगों ने कहा कि बिना रोक-टोक वाले इंटरनेट का होना बहुत जरूरी है।