ग्वालियर। जिला अस्पताल के प्रसूति गृह के टॉयलेट में लगभग 6 माह के कन्या भ्रूण मिलने से बुधवार को सुबह सनसनी फैल गई। अस्पताल प्रशासन के अनुसार कन्या भ्रूण यहां भर्ती किसी महिला का नहीं है। मामला पुलिस को सौंप दिया गया है। अस्पताल प्रशासन ने पुलिस से भ्रूण का डीएनए टेस्ट कराने का भी आग्रह किया है।
इस मामले में जांच के लिए एक समिति गठित कर दी गई है। गुरुवार को सभी कर्मचारियों व इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉक्टर को भी बयान दर्ज कराने बुलाया है। मामले में इस आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता कि अस्पताल में ही अवैध रूप से गर्भपात कर कन्या भ्रूण को टॉयलेट में फेंक दिया गया हो !
जानकारी के अनुसार सुबह करीब 6 बजे प्रसूति गृह के वार्ड में एक सफाईकर्मी मुन्नी बाई टॉयलेट गई। वहां उसने एक भ्रूण पड़ा देखा। उसने तत्काल इमरजेंसी ड्यूटी पर तैनात डॉ.साधना पांडे को बताया। डॉ. पांडे ने भ्रूण को देखने के बाद सिविल सर्जन डॉ.डीडी शर्मा व आरएमओ डॉ.सुनील शर्मा को सूचना दी। सूचना पर सिविल सर्जन ने पुलिस को बुलाने के निर्देश दिए।
6 माह का है भ्रूण
पुलिस के आने के बाद प्राथमिक तौर पर की गई जांच पड़ताल में उजागर हुआ है कि यह भ्रूण किसी कन्या का है। भू्रण लगभग 6 माह का है। पड़ताल में ऐसा भी कोई मामला सामने नहीं आया है,जिसमें किसी महिला का गर्भपात हुआ हो।
सीसीटीवी कैमरे हैं, पर चालू नहीं
अस्पताल में सीसीटीवी कैमरे भी लगे हैं। लेकिन बंद पड़े हैं। सिविल सर्जन का कहना है कि कैमरों की फिटिंग का काम अभी चल रहा है। वहीं सुरक्षा के लिए गार्ड तैनात हैं, लेकिन उन्हें किसी बाहरी सख्स के आने जाने की कोई जानकारी नहीं है।
सीएमएचओ भी पहुंचे
मामले की जानकारी सिविल सर्जन डॉ.डीडी शर्मा ने सीएमएचओ डॉ.अनूप कम्ठान को भी दी। सुबह लगभग 11 बजे डॉ.कम्ठान भी सिविल अस्पताल पहुंचे। उन्होंने प्राथमिक तौर पर पड़ताल की। पड़ताल में स्टाफ ने कहा कि कोई बाहर का व्यक्ति यहां यह भ्रूण फेंक गया होगा।
हासदा या कन्या भ्रूण हत्या
पूरे मामले को लेकर तीन ही संभावनाएं बन रही हैं
-पहली संभावना यह है कि अस्पताल में भर्ती किसी महिला का दुर्घटनावस समय पूर्व प्रसव हो गया हो। इस संभावना की काट अस्पताल प्रशासन ही कर रहा है। अस्पताल प्रशासन कहना है कि उनके रिकॉर्ड में ऐसी कोई महिला भर्ती ही नहीं, जिसका प्रसव समय 5 से 6 माह का हो।
- कोई बाहरी व्यक्ति आकर इस कन्या भ्रूण को यहां लाकर डाल गया हो। यह संभव तो हो सकता है, लेकिन प्रश्न यह उठता है कि आखिर कोई इतनी रिस्क क्यों उठाएगा? वह इस भ्रूण को कहीं भी फेंक सकता था।
-तीसरी और सबसे प्रबल संभावना यह है कि यहां किसी महिला ने अस्पताल कर्मचारी की मिली भगत से कन्या भू्रण को गिरवाया हो। इस महिला का अस्पताल में कोई रिकॉर्ड न हो।
ग्वालियर के जिला अस्पताल में कन्या भ्रूण हत्या!
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