नई दिल्ली : पूर्व सैनिकों के लिए काफी समय से लंबित ‘वन रैंक, वन पेंशन’ योजना सरकार की अधिसूचना के साथ शनिवार रात लागू हो गई जिससे 25 लाख से अधिक पूर्व सैनिक एवं दिवंगत सैनिकों की पत्नियां लाभान्वित होंगी।

हालांकि, प्रदर्शनकारी पूर्व सैनिकों ने अधिसूचना खारिज करते हुए कहा कि उनकी मुख्य मांगें स्वीकार नहीं की गई हैं और यह ‘वन रैंक फाइव पेंशन’ हो गया है।

अधिसूचना रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की पांच सितंबर की घोषणा के लगभग समान है।

पेंशन साल 2013 के कैलेंडर वर्ष के सेवानिवृत्तों के आधार पर पुनर्निर्धारित की जाएगी और लाभ एक जुलाई 2014 से प्रभावी होगा।

पूर्व सैनिकों ने मांग की थी कि पेंशन की अवधि वित्तीय वर्ष 2013-14 होनी चाहिए, न कि कैलेंडर वर्ष। उन्होंने यह मांग भी की थी कि एक जुलाई की जगह एक अप्रैल प्रभावी तारीख होनी चाहिए।

अधिसूचना में कहा गया है कि भविष्य में पेंशन हर पांच साल में तय की जाएगी। हालांकि पूर्व सैनिकों ने दो साल पर इसकी समीक्षा की मांग की थी। अधिसूचना पर अपनी फौरी प्रतिक्रिया में आंदोलन का नेतृत्व कर रहे इंडियन एक्स..सर्विसमेन मूवमेंट के अध्यक्ष मेजर जनरल (अवकाशप्राप्त) सतबीर सिंह ने कहा, ‘अधिसूचना रैंक और फाइल के लिए स्वीकार्य नहीं होगी। यह वन रैंक, वन पेंशन नहीं, बल्कि ‘वन रैंक, फाइव पेंशन’ है।’

अधिसूचना का एक और तत्व यह है कि अपने अनुरोध पर सेवामुक्ति का विकल्प पाने वाले सशस्त्र बलों के कर्मी ओआरओपी फायदे में नहीं पाएंगे। रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता सितांशु कार ने ट्वीट किया कि यह निर्धारित तारीख से लागू होगी।

बयान में कहा गया है कि पिछली सरकार ने ओआरओपी को लागू करने के लिए एक बजटीय घोषणा की थी और 500 करोड़ रूपये का प्रावधान किया था। उन्होंने कहा कि मौजूदा सरकार ने इस काम को गंभीरतापूर्वक किया और महसूस किया कि वास्तविक अतिरिक्त सालाना खर्च फिलहाल आठ से 10 हजार करोड़ रूपये का है तथा यह भविष्य में और बढ़ेगा।

रक्षा मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक वित्तीय अवरोधों से सहमत नहीं होते हुए मौजूदा सरकार ने अपने वादे के अनुरूप ओआरओपी को सच्ची भावना से लागू करने के लिए आदेश जारी किया।

अधिसूचना में कहा गया है कि 2013 में समान रैंक से सेवानिवृत्त होने वाले कर्मियों के न्यूनतम और अधिकतम पेंशन का औसत और समान अवधि की सेवा के आधार पर सभी पेंशनभोगियों के लिए पेशन पुनर्निर्धारित की जाएगी ।

पूर्व सैनिकों ने अधिकतम को आधार बनाने की मांग की थी, न कि औसत को।

यह कहा गया है कि बकाया राशि चार समान अर्धवार्षिक किश्तों में अदा की जाएगी। हालांकि, विशेष: उदारीकृत पेंशनभोगी और वीरता पुरस्कार पाने वालों को एक किश्त में बकाया अदा किया जाएगा।

सरकार ने किसी भी विसंगति को दूर करने के लिए, यदि है तो एक न्यायिक समति नियुक्त करने का फैसला किया है। न्यायिक समिति अगले छह महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपेगी।

रक्षा बल लगभग चार दशक से ओआरओपी की मांग कर रहे थे लेकिन मुद्दा नहीं सुलझ सका था।

बयान के मुताबिक हालांकि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने इसे लागू करने का वादा किया था और इसी के मुताबिक सरकार ने पांच सितंबर को ओआरओपी लागू करने के लिए तौर तरीकों की घोषणा की थी। इसमें कहा गया है कि चुनाव आचार संहिता के चलते अधिसूचना जारी नहीं की जा सकी थी।

इस बीच, मेजर जनरल (अवकाशप्राप्त) सिंह ने कहा, ‘‘यदि यह हर पांच साल पर समीक्षा है और स्केल का औसत है तो यह स्वीकार्य नहीं है। संसद ने जो घोषणा की थी, उसके यह खिलाफ है।’’ उन्होंने सवाल किया कि सरकार ने प्रभावी तिथि एक जुलाई क्यों घोषित की, इसे एक अप्रैल घोषित नहीं कर सरकार पूर्व सैनिकों और दिवंगत सैनिकों की पत्नियों को कोष से वंचित करने की कोशिश कर रही है।

आईईएसएम के मीडिया सलाहकार कर्नल (अवकाशप्राप्त) अनिल कौल ने कहा कि सरकार ने सभी मांगें नहीं मानी हैं।