नई दिल्ली : निजी क्षेत्र की तीन बिजली वितरण कंपनियों के खातों का ऑडिट नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) से कराने के ‘आप’ सरकार के आदेश को निरस्त किये जाने के दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ केजरीवाल सरकार उच्चतम न्यायालय जाएगी।
मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने कहा कि उच्च न्यायालय का आदेश राष्ट्रीय राजधानी के लोगों के लिए ‘अस्थायी झटका’ है और वह लोगों को सस्ती बिजली मुहैया कराने के लिए ‘प्रतिबद्ध’ हैं।
उन्होंने ट्वीट किया, ‘दिल्ली उच्च न्यायालय का आदेश दिल्ली के लोगों के लिए अस्थायी झटका है। दिल्ली सरकार जल्द ही उच्चतम न्यायालय में एक अपील दायर करेगी।’ केजरीवाल ने अपने सिलसिलेवार ट्वीट में कहा, ‘मैं दिल्ली के लोगों को सस्ती बिजली मुहैया कराने के लिए प्रतिबद्ध हूं। हमारा संघर्ष जारी रहेगा।’
दिल्ली उच्च न्यायालय ने निजी क्षेत्र की तीन बिजली वितरण कंपनियों के खातों का ऑडिट नियंत्रक महालेखा परीक्षक (कैग) से कराने के ‘आप’ सरकार के फैसले को आज निरस्त कर दिया।
मुख्य न्यायाधीश जी रोहिणी और न्यायमूर्ति आर एस एंडलॉ की पीठ ने कहा, ‘हमने बिजली वितरण कंपनियों की याचिकाओं को स्वीकार कर लिया है।’ पीठ ने इसके साथ ही स्पष्ट कर दिया कि ऑडिट की अब तक की प्रक्रिया और कैग की मसविदा रिपोर्ट ‘अमान्य’ मानी जाएगी।
सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि 14 अप्रैल 2014 को उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट कर दिया था कि जहां कहीं भी सार्वजनिक पैसा या संसाधन लगा होगा कैग रिपोर्ट ‘जरूरी’ है।
हाई कोर्ट का फैसला अस्थायी झटका, सुप्रीम कोर्ट जाएंगे: केजरीवाल
आपके विचार
पाठको की राय