नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात के पूर्व आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की उस याचिका को मंगलवार को खारिज कर दिया, जिसमें उन्होंने अपने खिलाफ दायर दो प्राथमिकियों की जांच विशेष जांच दल (एसआईटी) से कराने का अनुरोध किया था।

जानकारी के अनुसार, सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात कैडर के बर्खास्‍त आईपीएस अधिकारी संजीव भट्ट की उनके खिलाफ दाखिल दो प्राथमिकियों की जांच अदालती निगरानी में एसआईटी से कराने की की दरख्वास्त ठुकरा दी। इन प्राथमिकियों में भट पर 2002 के गुजरात दंगों के मामले में हलफनामा दाखिल करने के लिए अपने मातहतों पर कथित तौर पर दबाव डालने और एक विधि अधिकारी का ईमेल हैक करने के आरोप लगाए गए हैं।

प्रधान न्यायाधीश एचएल दत्तू और न्यायमूर्ति अरूण मिश्रा की पीठ ने यह भी कहा कि दोनों मामलों में कार्यवाही ‘तेजी से’ संचालित की जाए। इससे पहले, भट्ट ने दोनों प्राथमिकियों की सीबीआई जांच कराने की मांग की थी। बाद में उन्होंने अपना आग्रह बदल दिया और इस आधार पर अदालती निगरानी में एसआईटी जांच का आग्रह किया कि जिन लोगों के खिलाफ उनकी शिकायत है, वे अब केन्द्र में सरकार चला रहे हैं।

पूर्व आईपीएस अधिकारी ने अपनी याचिका में भाजपा अध्यक्ष अमित शाह और आरएसएस नेता एस. गुरुमूर्ति को भी मामले में पक्ष के रूप में शामिल करने का आग्रह किया था। शाह उस वक्त गुजरात सरकार में गृह राज्य मंत्री थे। यह याचिका भी खारिज हो गई थी। इसी साल, 18 अगस्त को सेवा से बर्खास्‍त किए गए आईपीएस अधिकारी ने उनके खिलाफ गुजरात पुलिस द्वारा दायर प्राथमिकियों के विरोध में 2011 मे उच्चतम न्यायालय में याचिकाएं दायर की थीं। उल्लेखनीय है कि गुजरात सरकार ने भट्ट के इन दावों को गलत ठहराया था कि 2002 के गुजरात दंगों के दौरान वह कानून व्यवस्था की स्थिति की समीक्षा के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री के आवास पर आयोजित बैठक में मौजूद थे। इसके बाद, 23 सितंबर को उच्चतम न्यायालय ने अपना आदेश सुरक्षित कर लिया था। भट्ट की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता इंदिरा जयसिंह और प्रशांत भूषण ने राज्य सरकार के शीर्ष अधिकारियों, तत्कालीन अतिरिक्त एडवोकेट जनरल, तत्कालीन गृह राज्यमंत्री और कुछ वकीलों के बीच साठगांठ के आरोप लगाए थे और अदालती निगरानी में भट्ट के दावों की एसआईटी जांच कराने का आग्रह किया था।

जयसिंह ने दलील दी थी कि ‘उच्चतम स्तर पर साठगांठ’ की सीबीआई जांच की जगह एसआईटी जांच कराने की जरूरत है क्योंकि तत्कालीन मुख्यमंत्री अब प्रधानमंत्री हैं और तत्कालीन एएजी अब अतिरिक्त सालिसिटर जनरल हैं। इससे पहले, भट्ट के वकीलों ने आरोप लगाए थे कि गुजरात सरकार उन्हें प्रताड़ित कर रही है और निशाना बना रही है और चूंकि भट ने 2002 के गुजरात दंगों के दौरान कानून व्यवस्था के तरीकों पर साहसिक ढंग से अपनी बात की थी, इसलिए उन्हें निशाना बनाया जा रहा है।