वाशिंगटन: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लिए इस महीने होने वाले आगामी बिहार विधानसभा चुनाव अब तक की सबसे बड़ी चुनावी परीक्षा होगी। अमेरिका के एक शीर्ष थिंक टैंक के विद्वानों ने कहा है कि इस चुनाव परिणाम के नतीजों का असर राज्य की सीमाओं से बाहर भी पड़ेगा।
नतीजों का असर सीमाओं से पार भी :
अमेरिका के एक शीर्ष थिंक टैंक कार्नेगी इंडावमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस के विद्वानों मिलान वैष्णव और सक्षम खोसला ने बुधवार को एक ‘संपादकीय’ में लिखा है, बिहार के मतदाता क्या निर्णय लेते हैं, यह मायने नहीं रखता है, लेकिन इसके नतीजों का असर सीमाओं से परे महसूस किया जाएगा।
सबसे बड़ी चुनावी परीक्षा :
उन्होंने लिखा है कि 12 अक्तूबर को शुरू होने वाला बिहार चुनाव आठ नवंबर को समाप्त होगा, जो मोदी के नेतृत्व वाली भाजपा सरकार के लिए अब तक की ‘सबसे बड़ी चुनावी परीक्षा’ होगी।
केन्द्र सरकार को नई गति प्रदान कर सकती है 'जीत' :
अगर जीत मिलती है, तो यह जीत केन्द्र सरकार को नई गति प्रदान कर सकती है। इस जीत से भाजपा राज्यसभा में बहुमत के करीब पहुंच सकती है और 2016 और 2017 में होने वाले राज्य विधानसभा चुनावों में इससे इसे मजबूती मिलेगी।
बहुत बड़ा झटका होगा 'हार' :
कार्नेगी के विद्वानों ने लिखा है कि अगर इसमें हार मिलती है, तो यह एक बहुत बड़ा झटका होगा। विशेषकर इसलिए क्योंकि मोदी ने प्रचार में अपनी प्रतिष्ठा को दांव पर लगा रखा है। यहां तक की राज्य के लिए 1. 25 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की भी घोषणा की गई है।
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