इस फ़िल्मी फ्राइडे रिलीज़ हुई है कंगना-इमरान की फ़िल्म कट्टी-बट्टी। निखिल आडवाणी द्वारा निर्देशित 'कट्टी बट्टी' की कहानी की बात करें तो मैडी यानी इमरान को कंगना के क़िरदार पायल से प्यार है पर फ़िल्म शुरू होती है दोनों के ब्रेकअप से और फिर फ्लैश बैक में कहानी आगे बढ़ती है।
फिल्म में नयापन नहीं....
बात करें ख़ामियों की तो कहानी में नयापन नहीं है। नए चेहरों के साथ पुराना मसाला परोसा गया है। फ़िल्म के बड़े हिस्से में इमरान ख़ान का क़िरदार कंगना के कैरेक्टर के पीछे भागता रहता है। कई जगह कहानी थमी सी नज़र आती है और एक वक्त के बाद खिंचने लगती है और भ्रामक प्रतीत होती है मसलन कंगना का क़िरदार, जो शुरू में कुछ और होता है, बाद में कुछ और। किरदार में बदलाव का कोई कारण भी साफ़ नहीं होता।बेवजह लंबी खींची गई...
फ़िल्म का क्लाइमैक्स अगर 20 मिनट पहले आ जाता तो फ़िल्म खिंचने से बच जाती। कंगना और इमरान की जोड़ी भी नहीं जमी। फ़िल्म में कुछ और क़िरदार आते हैं जो मैडी यानी इमरान की मदद करते हैं पर इनका आना फ़िल्म को लंबा बनाता है और विषय से दर्शकों का ध्यान भटकाता है।
फ़िल्म का बैकग्राउंड स्कोर और फ़िल्म के गाने अच्छे...
खूबियों की बात करें तो निखिल की हालिया रिलीज़ 'हीरो' की तरह इस फ़िल्म से शायद दर्शक बोर न हों। परदे पर जो दिखेगा शायद आपको कुछ वक्त के लिए मनोरंजन करे। कुछ सीन्स आपको छू भी सकते हैं। इमरान अपने क़िरदार में ढले नज़र आए। फ़िल्म का बैकग्राउंड स्कोर और फ़िल्म के गाने अच्छे लगे। शंकर एहसान लॉए ने गानों को रूह दी है।
मूवी रिव्यू : नए चेहरों के साथ पुरानी कहानी है 'कट्टी-बट्टी'
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