मुंबई : महाराष्ट्र सरकार ने महाराष्ट्र ऑटो परमिट और लाइसेंस हासिल करने के लिए मराठी भाषा जानने को अनिवार्य कर दिया है. यानी ऐसे लोग जो मराठी नहीं बोल सकते हैं वे महाराष्ट्र में ऑटो नहीं चला पाएंगे. सवाल है कि क्या महाराष्ट्र शिवसेना की नीति पर काम कर रही है?
अभी महाराष्ट्र में मीट बिक्री पर प्रतिबंध का विवाद थमा भी नहीं है कि अब महाराष्ट्र सरकार ने अजीबो-गरीब फरमान जारी कर दिया है. इस बार फरमान ऑटो परमिट को लेकर है.
नए फरमान के मुताबिक महाराष्ट्र में ऑटो रिक्शा के लिए लाइसेंस और परमिट सिर्फ उसी व्यक्ति को मिलेगा, जिसे मराठी आती हो, यानी गैर मराठियों को ऑटो रिक्शा के लिए लाइसेंस नहीं मिलेगा. लाइसेंस के लिए सरकार ऑटो रिक्शा चालकों का मराठी भाषा में टेस्ट भी लेगी. ये नए नियम 1 नवंबर से लागू होंगे.
महाराष्ट्र के इस एलान से ऐसा लग रहा है कि बीजेपी-शिवसेना गठबंधन वाली सरकार शिवसेना के नक्शे कदम पर चल रही है. दरअसल शिवसेना की राजनीति मराठी मुद्दे के इर्द गिर्द घूमती रही है. कई मौके पर शिवसेना ने गैर मराठियों और गैर मराठी भाषा का विरोध भी किया है. महाराष्ट्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ महाराष्ट्र में विरोध भी शुरू हो गया है.
ऑटो परमिट चाहिए तो मराठी भाषा आना जरूरी : महाराष्ट्र सरकार
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