औद्योगिक उत्पादन वृद्धि दर जुलाई 2015 में 4.2 फीसदी रही जो पिछले साल इसी माह में 0.9 फीसदी थी। विनिर्माण क्षेत्र खासकर पूंजीगत सामान उद्योग का प्रदर्शन बेहतर रहा। हालांकि, औद्योगिक उत्पादन में सुधार से ब्याज दर में कटौती की गुंजाइश कम नहीं हुई है क्योंकि जून के 4.36 फीसदी के संशोधित अनुमान के मुकाबले यह कम है। आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने टि्वटर पर कहा कि जुलाई के IIP आंकड़े, जीडीपी के आंकड़ों में सतत सुधार के अनुरूप हैं।

पूंजीगत सामान एवं विनिर्माण क्षेत्रों के लिए आंकड़े गौर करने योग्य हैं। केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) के आंकड़ों के अनुसार औद्योगिक उत्पादन सूचकांक (आईआईपी) पर आधारित औद्योगिक वृद्धि दर अप्रैल-जुलाई, 2015 में औसतन 3.5 फीसदी रही जो पिछले वर्ष इसी दौरान 3.6 फीसदी थी। इस वृद्धि में विनिर्माण और पूंजीगत सामान क्षेत्र का मुख्य योगदान रहा।

इस बीच, जून के औद्योगिक वृद्धि के आंकड़ों को संशोधित कर 4.36 फीसदी कर दिया गया है जो प्रारंभिक अनुमान में 3.8 फीसदी बताया गया था। IIP में 75 फीसदी भारांश रखने वाले विनिर्माण क्षेत्र की वद्धि दर इस बार जुलाई में 4.7 फीसदी रही जबकि पिछले साल इसी दौरान इस क्षेत्र का उत्पादन 0.3 फीसदी संकुचित हुआ था। आलोच्य अवधि में पूंजीगत सामान बनाने वाले उद्योग की वृद्धि दर आकर्षक 10.6 फीसदी रही जबकि पिछले साल जुलाई में इसमें 3.0 फीसदी की गिरावट आयी थी। पूंजीगत उद्योग को निवेश गतिविधियों का सूचक माना जाता है।