नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सूफियाना विचारधारा को भारतीय संस्कृति का अभिन्न अंग बताते हुए आज कहा कि समाज के निर्माण में इसका महत्वपूर्ण योगदान रहा है। देश के अलग अलग हिस्सों से 40 बरेलवी सूफी विद्वानों के शिष्टमंडल के साथ आज हुई मुलाकात के दौरान मोदी ने कहा,‘‘कट्टरपंथी ताकतें आज सूफी विचारधारा को कमजोर करने की कोशिश कर रही हैं।
सूफी संतों और विद्वानों को सोशल मीडिया और अन्य प्रसार माध्यमों के जरिए इन ताकतों से निपटना चाहिए ताकि कट्टरपंथी ताकतें देश में अपनी जड़ें न जमा सके। सूफी परंपरा जहां कहीं भी पनपी, इसने बुराई को दूर रखा है।’’ प्रधानमंत्री ने देश के मुस्लिमों को केंद्र की कौशल विकास की योजनाओं और कार्यक्रमों का अधिकतम लाभ उठाने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने आश्वासन दिया कि सदस्यों की ओर से उठाए गए वक्फ संपत्ति के मुद्दों पर विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा कि सूफी संस्कृति और संगीत को प्रत्येक राज्य में उपयुक्त प्रोत्साहन दिया जाना चाहिए। इससे पहले शिष्टमंडल के सदस्यों ने श्री मोदी को बातचीत के दौरान बताया कि कुछ ताकतें नहीं चाहती कि देश के मुसलमान समुदाय के साथ प्रधानमंत्री के अच्छे रिश्ते हों। उन्होंने कहा कि अब तक वोट बैंक की विभाजनकारी राजनीति के परिणामस्वरूप मुसलमान समुदाय सरकार के साथ सिर्फ मध्यस्थों के जरिए ही बात करता रहा है लेकिन अब वे चाहते हैं कि प्रधानमंत्री मुसलमानों सहित पूरे देश की जनता के साथ सीधा संबंध स्थापित करें।
शिष्टमंडल ने कहा कि इस्लाम के नाम पर आतंकवाद का प्रसार दुनिया भर में शांति के लिए खतरा है तथा सामाजिक, आर्थिक या राजनीतिक विचारधारा के लिए जिहाद को प्रोत्साहन दे रही ताकतों को नजरअंदाज करने के लिए तुरंत कार्रवाई करने की जरूरत है। सदस्यों ने देश में सूफी विचारधारा और संस्कृति को प्रोत्साहन देने के लिए अनेक सुझाव भी दिए। उन्होंने सुझाव दिया कि पर्यटन को प्रोत्साहन देने के लिए सूफी सर्किट बनाया जाए तथा भारत में सूफी मजारों और स्थलों के जीर्णोद्धार के लिए कदम उठाए जाएं।
सूफी आदर्शों को कमजोर कर रही हैं कट्टर ताकतें : मोदी
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