जालंधर : बिहार में होने वाले विधानसभा चुनावों ने सभी राजनीतिक दलों को इन दिनों परेशानी में डाल रखा है । दावे बेशक सभी राजनीतिक दल जीत के ही करते हैं लेकिन जमीनी स्तर पर सब की हालत कमोबेश एक जैसी नजर आ रही है ।अब तक बिहार चुनावों में मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा न कर भारतीय जनता पार्टी नरेंद्र मोदी के दम पर चुनाव लड़ने की योजना बना रही थी लेकिन एकाएक पार्टी को यह लगने लगा है कि इस संबंध में प्लान बी को भी ध्यान में रखा जाना चाहिए जिसके चलते बिहार में भाजपा के अंदर ‘नमो’ बनाम ‘सुमो’ की स्थिति पैदा हो गई है ।
बिहार में 25 जुलाई को भाजपा की मुजफ्फरपुर में बड़े स्तर की एक रैली है जहां से पार्टी राज्य में चुनावी बिगुल फूंकेगी । पार्टी के सामने इस समय बड़ी अजीब सी स्थिति है क्योंकि पार्टी के कुछ लोग अब तक नरेंद्र मोदी के दम पर चुनाव जीतने की बात कर रहे थे लेकिन पार्टी का एक धड़ा यह कहने लगा है कि अगर मुजफ्फरपुर की रैली सफल नहीं हो पाती है तो पार्टी को प्लान बी पर काम करना चाहिए ।
सूत्रों का कहना है कि प्लान ए में यहां मोदी के नाम पर चुनाव लड़ने की बात है वहीं प्लान बी में सुशील मोदी (सुमो) को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर चुनाव लड़ने की योजना है । वैसे यही स्थिति भाजपा के साथ दिल्ली में भी थी जहां पर पार्टी ने महाराष्ट्र, हरियाणा, झारखंड तथा जम्मू-कश्मीर की तरह मोदी के दम पर चुनाव लड़ने की तैयारी की थी लेकिन दिल्ली में जनवरी माह में हुई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रैली के बाद पार्टी ने अपना प्लान-बी जारी कर दिया तथा जल्दबाजी में किरण बेदी के हाथ मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की कमान सौंप दी गई ।
अब बिहार में भी मुजफ्फरपुर की रैली के बाद पार्टी अगर प्लान बी जारी कर दे तो उसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं होगी ।बिहार में प्लान बी की योजना को देखते हुए मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवारों की भी कतारें सजने लगी हैं । वैसे पार्टी स्तर पर अभी तक सुशील मोदी इस पद के मुख्य दावेदार हैं लेकिन उनके साथ-साथ नंद किशोर यादव, सी.पी. ठाकुर जैसे नाम भी कतार में लग गए हैं । बिहार में भी अगर भाजपा का प्लान ‘ए’ और ‘बी’ दोनों फ्लॉप हो गए और स्थिति कहीं दिल्ली के विधानसभा चुनावों जैसी हो गई तो मोदी की लहर की तो हवा निकलेगी, साथ ही सुशील मोदी के भी दावों की पोल खुल जाएगी । वैसे अब तक सुशील मोदी अपने आप को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर सबसे ऊपर रखते हैं ।
‘नमो’ और ‘सुमो’ की कशमकश में BJP
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