मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान का मानना है कि प्रदेश के किसी भी गरीब व्यक्ति की थाली खाली नहीं रहे और न ही कोई व्यक्ति भूखे पेट सोये। मुख्यमंत्री की इसी मंशा के अनुरूप प्रदेश की लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली को सुदृढ़ बनाया गया है। प्रदेश में मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना में एक रुपये किलो की दर से गेहूँ-चावल, नमक और रियायती दर पर शक्कर उपलब्ध करवाने पर राज्य सरकार पर प्रतिवर्ष 742 करोड़ रुपये का वित्तीय भार पड़ रहा है। मध्यप्रदेश में मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना का दायरा बढ़ाने से प्रदेश के 4 करोड़ 90 लाख गरीब परिवार को सस्ता खाद्यान्न उपलब्ध हो रहा है। एक मायने में एक दिन की मजदूरी राशि से पूरे माह का राशन एक परिवार को मिल जाता है। इस तरह भूखे पेट सोने की बात कम से कम प्रदेश में तो बीती बात हो गई है।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम-2013 के प्रावधान के अनुरूप भारत सरकार द्वारा गेहूँ 2 रुपये प्रतिकिलो एवं चावल 3 रुपये प्रतिकिलो की दर से दिये जाने का प्रावधान है। इससे प्रदेश में गरीब और जरूरतमंद से सीधा संबंध रखने वाली सार्वजनिक वितरण प्रणाली का दायरा बढ़ा है। प्रदेश में अब 4 करोड़ 90 लाख व्यक्ति को मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना में एक रुपये की दर पर प्रति किलोग्राम गेहूँ और चावल उपलब्ध करवाया जा रहा है।
मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना का दायरा बढ़ा
मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना में अंत्योदय अन्न योजना के परिवार, जिनमें अति-गरीब वर्ग के परिवार आते हैं, उन्हें शामिल किया गया है। इसके अलावा प्राथमिकता श्रेणी के परिवार में 24 श्रेणी के लोगों को शामिल किया गया है। इस श्रेणी में ऐसे अनेक परिवार शामिल हैं, जिनकी पंचायतें मुख्यमंत्री निवास पर आयोजित हो चुकी हैं। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की पहल पर इन परिवार को प्राथमिकता श्रेणी में शामिल किया गया है।
खाद्य सुरक्षा पर्व
प्रदेश में लागू लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली में छूटे परिवारों को शामिल करने के लिये जून, 2014 में खाद्य सुरक्षा पर्व मनाया गया। इसमें 35 लाख नये परिवार को मुख्यमंत्री अन्नपूर्णा योजना के दायरे में लाया गया। अब प्रदेश में 110 लाख 38 हजार परिवार को एक रुपये प्रति किलो की दर पर गेहूँ-चावल, 5 लीटर केरोसिन, एक किलो शक्कर एवं एक किलोग्राम आयोडीनयुक्त नमक उपलब्ध करवाया जा रहा है।
पारदर्शिता के प्रयास
प्रणाली में पारदर्शिता लाये जाने के उद्देश्य से अभिनव प्रयोग करते हुए खाद्यान्न का आवंटन दुकानवार किया गया है। आवंटन की जानकारी विभाग के "समग्र'' पोर्टल पर भी प्रदर्शित की गई है। प्रणाली में गड़बड़ी पर रोक लगाने के लिये इसे मुख्यमंत्री हेल्पलाइन टोल-फ्री नम्बर 181 से भी जोड़ा गया है। प्रणाली के कम्प्यूटरीकरण किये जाने की भी विशेष पहल की गई है। प्रदेश के 4 जिले खण्डवा, बुरहानपुर, होशंगाबाद एवं हरदा, जहाँ आधार इनरोलमेंट का कार्य 90 प्रतिशत से अधिक है। भोपाल-इंदौर के नगरीय क्षेत्रों में कम्प्यूटर आधारित लक्षित सार्वजनिक वितरण प्रणाली प्रारंभ की गई है। प्रदेश में ग्रामीण एवं नगरीय क्षेत्र में 22 हजार उचित मूल्य दुकान संचालित हो रही हैं।
वर्ष 2014-15 में ई-उपार्जन
खाद्य, नागरिक आपूर्ति विभाग ने समर्थन मूल्य पर गेहूँ खरीदी में किसानों के हितों का पूरा ख्याल रखा है। रबी उपार्जन वर्ष 2014-15 में 9 लाख 83 हजार 662 किसान से करीब 73 लाख मीट्रिक टन गेहूँ का उपार्जन किया गया। किसानों को उनके द्वारा बेची गई उपज के बदले राज्य सरकार द्वारा 150 रुपये प्रति क्विंटल के मान से 1080 करोड़ रुपये का बोनस वितरित किया गया। किसानों को समर्थन मूल्य एवं बोनस राशि सहित 11 हजार 161 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया। प्रदेश में खरीफ सीजन वर्ष 2013-14 में 2 लाख 87 हजार किसान से 15 लाख 59 हजार मीट्रिक टन धान का उपार्जन किया गया। धान खरीदी पर किसानों को 234 करोड़ के बोनस सहित 2277 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया।
भण्डारण क्षमता बढ़कर 154 लाख मीट्रिक टन हुई
प्रदेश में अनाज भण्डारण क्षमता बढ़ाये जाने की तरफ भी विशेष ध्यान दिया गया है। प्रदेश में वर्ष 2004-05 में जहाँ भण्डारण क्षमता 36 लाख 36 हजार मीट्रिक टन हुआ करती थी, वह बढ़कर वर्ष 2014-15 में 154 लाख मीट्रिक टन हो गई। प्रदेश में निजी क्षेत्र में भण्डारण क्षमता बढ़ाने के लिये लॉजिस्टिक पॉलिसी-2012 लागू की गई। प्रदेश की नोडल एजेंसी वेयर हाउसिंग लॉजिस्टिक कार्पोरेशन की भण्डारण क्षमता भी बढ़कर 15 लाख मीट्रिक टन हुई है। कार्पोरेशन का वार्षिक कारोबार भी बढ़कर रुपये 283 करोड़ 77 लाख तक पहुँचा है। कार्पोरेशन द्वारा निजी गोदाम मालिकों से गोदाम किराया लेने पर गारंटी योजना की अवधि 4 माह को बढ़ाकर साढ़े 4 माह किया गया है।
साइलो और स्टील बेग का प्रयोग
भण्डारण क्षमता में नये प्रयोग करते हुए प्रदेश में पहली बार सायलो बेग एवं स्टील सायलो में सफलतापूर्वक अनाज का भण्डारण किया गया है। प्रदेश में आने वाले दो वर्ष में अनाज के सुरक्षित भण्डारण के लिये 60.75 लाख मीट्रिक टन क्षमता के सायलो बेग का उपयोग होगा। मध्यप्रदेश में अनाज के सुरक्षित भण्डारण में सायलो बेग के उपयोग के लिये हाल ही में नई दिल्ली में रसायन एवं ऊर्वरक मंत्री श्री अनंत कुमार ने प्रदेश के खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री कुँवर विजय शाह को अवार्ड प्रदान किया। प्रदेश में अनाज भण्डारण में सायलो बेग का उपयोग वर्ष 2012-13 में प्रारंभ हुआ। इस वर्ष होशंगाबाद के बाबई तथा रायसेन जिले के गौहरगंज में 20 हजार 677 मीट्रिक टन गेहूँ का भण्डारण किया गया। मध्यप्रदेश को भण्डारण के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य करने पर वर्ष 2013 में बेस्ट इनोवेटिव स्टेट कार्पोरेशन ऑफ द इयर अवार्ड से भी नवाजा गया है।