प्रयागराज। सभी के लिए डिजिटल समावेशन और कनेक्टिविटी सरकार के 'अंत्योदय' दृष्टिकोण का एक अभिन्नअंग है। 2021 में अपने स्वतंत्रता दिवस के संबोधन में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने सरकारी योजनाओं को हर व्यक्ति तक पहुंचाने का आह्वान किया।इसी क्रम में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गत दिवस देश भर के अभी तक 4जी सेवाओं से अछूते गांवों में 4जी मोबाइल सेवाओं को पहुंचाने की परियोजना को मंजूरी दी है। मोबाइल 4 जी सेवाओं से वंचित इन गांवों में उत्तर प्रदेश के 340 गांव शामिल हैं।
मिली जानकारी के मुताबिक इस परियोजना की कुल लागत रु. 26,316 करोड़ है। यह परियोजना दूरदराज और दुर्गम क्षेत्रों के 24,680 अछूते गांवों में 4जी मोबाइल सेवाएं प्रदान करेगी। इस परियोजना में पुनर्वास, नई बस्तियों, मौजूदा ऑपरेटरों द्वारा सेवाओं की वापसी आदि के कारण वंचित 20% अतिरिक्त गांवों को शामिल करने का प्रावधान है। इसके अलावा, केवल 2जी/3जी कनेक्टिविटी वाले 6,279 गांवों को 4जी में अपग्रेड किया जाएगा।
बता दें कि पिछले साल सरकार ने 5 राज्यों के 44 आकांक्षी जिलों के 7,287 गांवों में 4जी मोबाइल सेवाएं प्रदान करने के लिए एक परियोजना को मंजूरी दी थी। परियोजना को बीएसएनएल द्वारा आत्मनिर्भर भारत के 4 जी प्रौद्योगिकी स्टैक का उपयोग करके निष्पादित किया जाएगा और इसे यूनिवर्सल सर्विस ऑब्लिगेशन फंड के माध्यम से वित्त पोषित किया जाएगा। परियोजना की लागत रु. 26,316 करोड़ का कैपेक्स और 5 साल का ओपेक्स शामिल है। बीएसएनएल पहले से ही आत्मानिर्भर 4जी प्रौद्योगिकी स्टैक को लागू करने की प्रक्रिया में है, जिसे इस परियोजना में भी प्रयोगकिया जाएगा।
ज्ञात हो कि यह परियोजना ग्रामीण क्षेत्रों में मोबाइल कनेक्टिविटी प्रदान करने के सरकार के विजन की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह परियोजना मोबाइल ब्रॉडबैंड के माध्यम से विभिन्न ई-गवर्नेंस सेवाओं, बैंकिंग सेवाओं, टेली-मेडिसिन, टेली-एजुकेशन आदि के वितरण को बढ़ावा देगी और ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार पैदा करेगी।