भोपाल। सेवानिवृत्त डीजीपी नंदन दुबे को चाहकर भी राज्य सरकार उप लोकायुक्त नहीं बना पा रही है। लोकायुक्त पीपी नावलेकर को पत्र लिखकर मांगी गई सहमति का राज्य सरकार पिछले छह माह से इंतजार ही कर रही है। माना जा रहा है कि लोकायुक्त इस पद पर किसी न्यायिक अधिकारी को पदस्थ कराना चाहते हैं। इसलिए उन्होंने सरकार के पत्र का जवाब नहीं दिया है।
लोकायुक्त की सहमति के बगैर सरकार इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं कर पा रही है। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के निर्देश पर मुख्य सचिव अंटोनी जेसी डिसा ने 20 जनवरी को लोकायुक्त नावलेकर को पत्र भेजकर उनसे अभिमत मांगा था। उन्होंने अपने पत्र में स्पष्ट किया था कि लोकायुक्त एवं उप लोकायुक्त अधिनियम 1981 की धारा 3 के अनुसार उप लोकायुक्त के पद पर केन्द्रीय सचिव स्तर के अधिकारी को नियुक्त किया जा सकता है।
ऐसी स्थिति में सरकार ने डीजीपी पद से सेवानिवृत्त हुए नंदन दुबे को उप लोकायुक्त पद के लिए चयन करने का निर्णय लिया है। मुख्य सचिव ने अपने प्रस्ताव में दुबे को सक्षम, अनुभवी और स्वच्छ छवि का अधिकारी बताते हुए उन्हें उप लोकायुक्त के लिए उपयुक्त बताया है। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि इस मामले में मुख्य सचिव ने लोकायुक्त से फोन पर भी बात की, लेकिन मामला नहीं जमा।
डेढ़ साल से रिक्त है पद
उप लोकायुक्त का पद एक फरवरी 2014 से रिक्त है। इसके चलते भ्रष्टाचार और पद के दुरूपयोग जैसे मामलों की जांच में संगठन को दिक्कत हो रही है। इसके बावजूद पहले सरकार के स्तर पर नियुक्ति को लेकर हीलाहवाली हुई और अब लोकायुक्त संगठन की ओर से अभिमत देने में ढिलाई हो रही है।
नंदन दुबे का पुनर्वास नहीं कर सकी सरकार
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