नई दिल्ली । गुजरात में विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस ने राज्य में 7 कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति की है। पाटीदार नेता हार्दिक पटेल के इस्तीफे के बाद पार्टी ने दलित नेता जिग्नेश मेवाणी पर भरोसा जताया है। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने गुरुवार को गुजरात प्रदेश कांग्रेस कमिटी के सात कार्यकारी अध्यक्षों की नियुक्ति पर मुहर लगाई है। हालांकि, पार्टी की सदस्यता के बिना ही जिग्नेश मेवाणी को इतनी बड़ी जिम्मेदारी सौंपने जाने को लेकर भी कई तरह के सवाल उठ रहे हैं। गुजरात में इसी साल दिसंबर में चुनाव होना है। मेवाणी वडगाम विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक हैं। वह लगातार कांग्रेस पार्टी का समर्थन करते रहे हैं। वह राहुल गांधी के साथ मंच भी साझा करते हैं और पार्टी नेताओं के साथ प्रेस कॉन्फेंस में भी दिखते हैं, लेकिन मेवाणी अभी तक आधिकारिक तौर पर कांग्रेस पार्टी के सदस्य नहीं हैं। उन्होंने पिछले साल सितंबर कन्हैया कुमार के कांग्रेस में शामिल होते समय कहा था कि भी कांग्रेस पार्टी के साथ काम करेंगे, लेकिन आधिकारिक तौर पर पार्टी की सदस्यता नहीं ले सकते हैं। दलबदल विरोधी कानून का हवाला देते हुए मेवाणी ने कहा था कि वह निर्दलीय विधायक हैं और यदि कांग्रेस की सदस्यता लेते हैं तो उनकी विधायकी खत्म हो जाएगी। मेवाणी के अलावा विधायक ललित कागाथरा, रुतविक मकवाना, अंबरीश जे डेर, हिम्मत सिंह पटेल, कादिर पीरजादा और इंद्रविजय सिंह गोहिल को भी कार्यकारी अध्यक्ष बनाया गया है। कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने एक आधिकारिक तौर पर इसकी जानकारी देते हुए कहा कि इन नेताओं की नियुक्ति तत्काल प्रभाव में लागू हो गई है। हाल ही में पाटीदार नेता हार्दिक पटेल कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हो गए हैं। हार्दिक कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष थे। इससे पहले मार्च में कांग्रेस पार्टी ने गुजरात में पदाधिकारियों की एक लंबी सूची जारी की थी। इसमें 75 महासचिव और 25 उपाध्यक्ष शामिल थे। 19 कांग्रेस नेताओं को जिला समिति अध्यक्ष बनाया गया था।