भोपाल। देवास में 29 दिसंबर 2007 की रात सुनील जोशी की हत्या किसी गहरी साजिश पर परदा डालने के लिए नहीं हुई थी। हत्या का प्रतिशोध और बदले की भावना की नीयत से की गई थी। मुख्य आरोपी लोकेश शर्मा और राजेंद्र चौधरी साध्वी प्रज्ञा सिंह कुशवाहा को मुंहबोली ब़़डी बहन मानते थे। जोशी की ओर से प्रज्ञा पर बुरी नीयत डालने की खबर लगने के बाद दोनों काफी आहत थे, जिसके चलते हत्याकांड को अंजाम दिया गया।

भोपाल की विशेष अदालत में एनआईए ने मंगलवार को सुनील जोशी हत्याकांड में सप्लीमेंट्री चालान पेश किया। इसमें हत्या के पीछे किसी ब़़डे राज को छिपाने की बात से साफ इंकार किया गया है। एनआईए ने हत्याकांड में लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी, जितेंद्र सिंह, बलवीर सिंह और दिलीप जगताप को आरोपी बनाया है। एनआईए ने अपने चालान में जिन बातों का खुलासा किया है उनमें से ज्यादातर तथ्य देवास पुलिस की जांच में सामने आ चुके हैं।

एनआईए ने अदालत को बताया है कि लोकेश शर्मा, राजेंद्र चौधरी, सुनील जोशी और साध्वी प्रज्ञा भारती मालेगांव , अजमेर शरीफ और समझौता एक्सप्रेस बम धमाकों में भी आरोपी हैं। महाराष्ट्र एटीएस की जांच में भी इन आरोपियों के खिलाफ बम धमाकों को अंजाम देने के सबूत मिले हैं।

उल्लेखनीय है कि इसी सिलसिले में देवास पुलिस ने भी देवास जिला अदालत में एक चार्जशीट पेश की थी। 27 फरवरी 2011 को पेश की गई चालान में हर्षद सोलंकी, वासुदेव परमार, आनंदराज कटारिया, रामचरन पटेल और प्रज्ञा सिंह कुशवाहा को आरोपी बनाया गया था।