ग्वालियर। केन्द्रीय मंत्री नरेन्द्र सिंह तोमर को जिला सत्र न्यायालय से राहत नहीं मिल सकी। अपर सत्र न्यायाधीश विवेक कुमार गुप्ता ने जीआरपी में दर्ज केस को वापस लिए जाने के सरकार के आवेदन को फिर पुनर्विचार के लिए रेलवे कोर्ट को भेज दिया है। रेलवे कोर्ट श्री तोमर द्वारा दिए गए तथ्यों पर फिर से विचार करे। इसके बाद फैसला सुनाए, जबकि श्री तोमर ने जिला कोर्ट में केस को समाप्त करने की अर्जी लगाई थी।

नरेन्द्र सिंह तोमर ने 10 अक्टूबर 2014 को दिए रेलवे कोर्ट के उस आदेश के खिलाफ जिला कोर्ट में पुनर्विचार आवेदन लगाया था, जिसमें रेलवे कोर्ट ने जनहित में केस वापस लिए जाने के सरकार के फैसले को उचित नहीं ठहराया था। केस वापसी के आवेदन को खारिज कर दिया था। इस आदेश के खिलाफ जिला कोर्ट में रिव्यू लगाई थी। शासन की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता ब्रजमोहन श्रीवास्तव ने कोर्ट को बताया कि सरकार इस केस को वापस लेना चाहती है, जिसका अधिकार सरकार के पास है।

मामूली केस है, जिसे जनहित में वापस लिया जाना ठीक रहेगा। अधिवक्ता राजेन्द्र शर्मा ने बताया कि पूर्व केन्द्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया पर फरवरी 2011 में धारा 188 के तहत केस दर्ज हुआ था, लेकिन हाईकोर्ट ने उस केस को निरस्त कर दिया था। इसमें परिवाद पेश किया जाना था। वह कलेक्टर ने नहीं किया है। इसलिए केस चलने लायक नहीं है। जो आंदोलन किया गया था, वह जनहित में किया गया था। जीआरपी केस दर्ज नहीं कर सकती है। शासन व नरेन्द्र सिंह का पक्ष सुनने के बाद कोर्ट ने केस रेलवे कोर्ट को भेज दिया। दोनों आवेदनों पर फिर से विचार किया जाए।

क्या है मामला

- नरेन्द्र सिंह तोमर ने वर्ष 2009 में नैरोगेज ट्रेन की छत पर बैठकर सफर किया था। चुनाव आचार संहिता लगने पर जीआरपी ने नरेन्द्र सिंह तोमर, भाजपा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष प्रभात झा पर धारा 188 के तहत केस दर्ज किया था। मध्य प्रदेश सरकार इस केस को वापस लेना चाहती है।