बीजिंग । अपने कर्ज के जाल में फांसकर बर्बाद करने वाला चीन इन दिनों चुप्पी साधकर बैठा हुआ है। श्रीलंका आजादी के बाद के सबसे भीषण आर्थिक संकट से गुजर रहा है। हालात इतने खराब हो गए हैं कि लोगों ने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के घर को जला दिया है। इतना ही नहीं, पूरे श्रीलंका में आपातकाल के ऐलान के बावजूद सरकार विरोधी प्रदर्शन चरम पर हैं। लोग इस संकट के लिए महिंदा राजपक्षे के नेतृत्व को जिम्मेदार बता रहे हैं। हालांकि, श्रीलंका को इस हालात तक पहुंचाने में चीन का भी कम हाथ नहीं है। इसके बावजूद संकट में फंसे श्रीलंकाई लोगों की मदद करना तो दूर चीन ने कुछ भी बोलने से इनकार कर दिया है। चीन ने प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे पर टिप्पणी करने से बुधवार को इनकार कर दिया लेकिन इस संकट से निपटने के लिए सरकार और विपक्षी दलों से साथ आने का आह्वान किया है। बढ़ते प्रदर्शन के बाद राजपक्षे के इस्तीफे के सवाल से बचते हुए चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता झाओ लिजिआन ने मीडिया ब्रीफिंग में यहां कहा कि श्रीलंका में ताज़ा घटनाक्रम हमारे संज्ञान में है।
उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि श्रीलंका की सरकार के साथ-साथ देश के विपक्षी दल अपने देश के मूल हितों को ध्यान में रखते हुए एकजुट रहेंगे और जल्द से जल्द देश को आर्थिक एवं राजनीतिक अस्थिरता से बचाएंगे। राजपक्षे ने आर्थिक संकट के बीच सोमवार को इस्तीफा दे दिया। इससे कुछ घंटों पहले उनके समर्थकों ने सरकार विरोधी प्रदर्शनकारियों पर हमले किए थे। इसके बाद राष्ट्रव्यापी कर्फ्यू लगाना पड़ा था और सेना को राजधानी कोलंबो में तैनात करना पड़ा था। श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे बुधवार को सत्तारूढ़ दल के असंतुष्टों और मुख्य विपक्षी एसजेबी से बातचीत करेंगे ताकि महिंदा राजपक्षे के इस्तीफे के बाद राजनीतिक गतिरोध को खत्म किया जा सके। पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे को चीन में काफी पसंद किया जाता है, क्योंकि उन्होंने भारत की सुरक्षा चिंताओं, अमेरिकी आलोचना और बीजिंग की ऋण के जाल में फंसाने वाली कूटनीति पर चेतावनी की उपेक्षा करते हुए द्वीप राष्ट्र में बड़े पैमाने पर चीनी निवेश को बढ़ावा दिया। चीन के विदेश मंत्री वांग यी ने जनवरी में महिंदा राजपक्षे के साथ कोलंबो में अपनी मुलाकात के दौरान उनकी तारीफ करते हुए कहा था कि आप चीन के लोगों के पुराने दोस्त हैं। आप छह बार चीन की यात्रा पर आए हैं। हम इस विशेष मित्रता को प्रिय मानते हैं और यह कहानी चीन-श्रीलंका संबंधों के इतिहास में दर्ज होगी। चीन के सरकारी मीडिया के मुताबिक श्रीलंका पर 51 अरब डॉलर का कर्ज है जिसमें से 10 फीसदी चीन का है।
चुप्पी साधकर बैठा चीन
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