नई दिल्ली : गृह मंत्रालय की ‘काली सूची ’ में नाम शामिल होने के कारण ग्रीनपीस इंटरनेशनल के एक कार्यकर्ता को देश में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गयी और सरकार के इस कदम पर एनजीओ ने विरोध जताया तथा कार्यकर्ता पर लगाए गए आरोपों को ‘मानहानिजनक तमाशा’ करार दिया।

ग्रीनपीस इंटरनेशनल के साथ काम करने वाले ऐरोन ग्रे ब्लाक को शनिवार को बेंगलुरू से आस्ट्रेलिया वापस भेज दिया गया।

गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने सोमवार को बताया, ‘‘ग्रे ब्लाक छह जून को रात्रि 11 बजकर 40 मिनट पर बेंगलुरू हवाई अड्डे पर उतरे। उनका नाम काली सूची में था और इसलिए उन्हें प्रवेश नहीं दिया गया।’’ सरकारी सूत्रों ने बताया कि ग्रे ब्लाक ने पहले मध्य प्रदेश के महान में कोल ब्लाक खनन के खिलाफ अभियान चलाया था और भारत सरकार की आलोचना करते हुए कई लेख और ब्लाग लिखे थे।

ग्रीनपीस इंडिया ने ग्रे ब्लाक के हवाले से जारी किए गए बयान में कहा, ‘‘इस संबंध में हमें गृह मंत्रालय या विदेश मंत्रालय से कोई सूचना नहीं मिली थी। इन मंत्रियों को इस बारे में जवाब देना चाहिए।’’ ग्रे ब्लाक शनिवार को सिडनी से भारत के लिए रवाना हुए थे जहां उन्हें एनजीओ के कर्मचारियों के साथ बैठकों में भाग लेना था। वह आस्ट्रेलियाई पासपोर्ट पर यात्रा कर रहे थे ।

आस्ट्रेलिया में जन्मे और पेशे से पत्रकार रह चुके ब्लाक नीदरलैंड में रहते हैं और पिछले कई सालों से ग्रीनपीस इंटरनेशनल से जुड़े हुए हैं ।

ग्रे ने एक ट्विट में कहा कि उन्हें वैध बिजनेस वीजा होने के बावजूद भारत में प्रवेश की अनुमति नहीं दी गयी।

ग्रे ने कहा, ‘‘मैं आस्ट्रेलिया में भारतीय दूतावास द्वारा जारी वैध बिजनेस वीजा के साथ बेंगलुरू हवाई अड्डे पर उतरा। भारत की मेरी यात्रा स्वच्छ हवा, स्वच्छ जल और स्वच्छ तथा सस्ती उर्जा तक पहुंच के बारे में ग्रीनपीस भारत के पर्यावरण अभियान को समझने के लिए थी। गलत काम करने का कोई भी आरोप ‘‘मानहानिजनक तमाशा है।’’