स्विट्जरलैंड सरकार ने अपने बैंकों के ऐसे खातों की सूची जारी करने का निर्णय लिया है, जिनका पिछले 60 साल से कोई दावेदार सामने नहीं आया है। गौरतलब है कि देश के कर विभाग ने अपने यहां खाता रखने वाले भारत और अन्य देशों के ऐसे नागरिकों के नाम प्रकाशित करने शुरू कर दिए हैं, जिनके खिलाफ खाताधारकों के देशों की सरकारों ने जांच शुरू कर रखी है।
स्विट्जरलैंड के बैंकिंग लोक-प्रहरी के कार्यालय द्वारा दशकों से बिना किसी निकासी या जमा के निष्क्रिय पड़े विदेशियों के बैंक खातों की सूची इसी वर्ष प्रकाशित की जा सकती है। ये वह खाते होंगे, जिनका कोई दावेदार नहीं आया है। इससे इन खातों के कानूनी हकदारों को इन पर दावा करने का मौका मिलेगा। ये खाते 1955 से ही लावारिस पड़े हैं।
ऐसी अटकलें हैं कि इनमें से कुछ खाते भारत के पुराने राजे-महाराजाओं, रियासतों के शासकों के परिवार वालों और अन्य धनाड्यों के हो सकते हैं, जिन्होंने स्विस बैंकों में खाते खुलवा तो लिए, लेकिन इनका स्वामित्व अपने वारिसान या अन्य को हस्तांतरित नहीं किया।
हालांकि, स्विट्जरलैंड के अधिकारियों ने अभी यह नहीं बताया है कि ऐसे खाते किन देशों के लोगों से संबंधित हैं, लेकिन स्विट्जरलैंड के कुछ बैंकों के अधिकारियों ने पुष्टि की है कि इनमें से कुछ खाते भारतीयों के भी हैं। इनकी सूची इसी तरह के अन्य खातों के साथ इस साल के आखिर तक जारी की जा सकती है।
इनमें से कुछ खातों के एक से अधिक भारतीय दावेदार रहे हैं और उनमें स्वामित्व को लेकर विवाद है। इनमें से कुछ का दावा है कि वे पुराने राजाओं के वंशज हैं, लेकिन वे अपने दावे के समर्थन में कोई ठोस साक्ष्य पेश नहीं कर सके।
निष्क्रिय पड़े खातों की लिस्ट जारी करेगा स्विट्जरलैंड
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