कोल्हापुर। आजाद भारत के इतिहास में ये पहली बार हो रहा है। जी हां देश में किसी महिला को फांसी होने जा रही है। नौ मासूमों की हत्यारी दो बहनों को फांसी हो सकती है। करीब 15 साल पुराने इस हत्याकांड में 2001 में दोनों बहनों को कोल्हापुर जिला एवं सत्र न्यायालय से फांसी की सजा मिली थी। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने भी इसे बरकरार रखा था। इन बहनों ने अपनी मां के साथ मिलकर 13 बच्चों को अगवा किया था। जिसमें से 9 बच्चों की इन्होंने हत्या कर दी थी। इनको फांसी होती है तो भारत में यह पहला मौका होगा जब किसी महिला को फांसी दी जाएगी।
रेणुका शिंदे और सीमा मोहन गावित, दो बहनें हैं जो 9 बच्चों की हत्या करने की दोषी हैं। इस जघन्य हत्याकांड में इनकी मां अंजनाबाई ने भी इनका साथ दिया था। ट्रायल के दौरान ही अंजनाबाई की पुणे की यरवदा जेल में मौत हो गई। लेकिन इन बहनों को अपने गुनाह की सजा पाना बाकी था। जो अब फांसी के तख्ते पर लटकने के साथ ही खत्म होगी।
महाराष्ट्र के कोल्हापुर जिले में रहनेवाली अंजनाबाई गावित और उसकी दो बेटियां रेणुका और सीमा को 2001 में जिला एवं सत्र न्यायालय ने फांसी की सजा सुनाई। इन पर 13 बच्चों का अपहरण कर उनमें से 9 की हत्या कर देने का दोष साबित हुआ था। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने इन दोनों बहनों की फांसी पर 31 अगस्त 2006 को मुहर लगा दी। इस मामले में सबसे अहम गवाह साबित हुआ रेणुका का पति किरण शिंदे। जिसकी गवाही के बाद दोनों बहनों की हैवानियत का खुलासा हुआ।
सूत्रों के मुताबिक पिछले महीने राष्ट्रपति ने इन दोनों बहनों की दया याचिका खारिज कर दी। जिसके बाद इन्हें फांसी होना अब तय माना जा रहा है। इस फैसले पर सामाजिक संगठनों ने भी खुशी जाहिर की है। नियमानुसार दया याचिका खारिज होने के 14 दिन के अंदर सजा पाए अपराधी को फांसी दे देनी चाहिए।
आजाद भारत में पहली बार होगी दो सगी बहनों को फांसी!
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