उलानबटोर (मंगोलिया): प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तीन दिन के चीन दौरे के बाद मंगोलिया पहुंचे और आज (रविवार) उन्होंने मंगोलिया की संसद को संबोधित किया। इससे पहले उनकी अगुवाई में भारत और मंगोलिया के बीच 14 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए। मोदी मंगोलिया की यात्रा पर जाने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं।
प्रधानमंत्री मोदी ने मंगोलिया में अपने समकक्ष से कहा हम क्षेत्र में शांति, स्थिरता और समृद्धि को आगे ले जाने के लिए मिलकर काम कर सकते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत मंगोलिया की आर्थिक क्षमता और अवसंरचना के विस्तार में सहयोग देने के लिए 1 अरब डॉलर का ऋण मुहैया कराएगा।
भारत-मंगोलिया के बीच ये हैं 14 करार
1. मंगोलिया में साइबर सिक्युरिटी ट्रेनिंग सेंटर की स्थापना
2. भारतीय फॉरेन सर्विस इंस्टिट्यूट और मंगोलिया के डिप्लोमैटिक अकादमी के बीच करार
3. भारतीय और मंगोलियाई विदेश मंत्रालय के बीच सहयोग बढ़ाने पर करार
4. हवाई सेवाओं के क्षेत्र में करार
5. सजायाफ्ता लोगों के आपसी ट्रांसफर के लिए संधि
6. मेडिसीन और होम्योपैथी के क्षेत्र में सहयोग
7. सीमा सुरक्षा, पुलिसिंग और सर्विलांस के क्षेत्र में सहयोग
8. 2015 से 2018 के बीच सांस्कृतिक सहयोग बढ़ाने का करार
9. रिनुअल एनर्जी के क्षेत्र में सहयोग
10. दोनों देशों के नेशनल सिक्युरिटी काउंसिल के बीच सहयोग
11. मंगोलिया में इंडो-मंगोलिया फ्रेंडशिप सेकेंडरी स्कूल की स्थापना
12. इंडिया-मंगोलिया स्ट्रेटिजिक पार्टनरशिप के लिए ज्वाइंट स्टेटमेंट
13. भारत के टाटा मेमोरियल सेंटर और मंगोलिया के नेशनल कैंसर सेंटर के बीच करार
14. पशु स्वास्थ्य और डेयरी के क्षेत्र में सहयोग
इससे पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज यहां मंगोलिया की राजधानी में गैनदन तेग्चिलेन मठ के हंबा लामा (मुख्य मठाधीश) को बोधि वृक्ष का एक पौधा भेंट किया। मोदी मंगोलिया की यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। वह भगवान बुद्ध को समर्पित गिर तीर्थस्थल पर गए। हंबा लामा डी चोइजाम्त्स प्रधानमंत्री का हाथ पकड़कर उन्हें वज्र तारा मंदिर में लेकर गए, जहां भारतीय नेता ने प्रार्थना की। मोदी को मंदिर के उस पुस्तकालय में ले जाया गया, जहां प्राचीन पवित्र पुस्तकें रखी हुई हैं। प्रधानमंत्री ने जनराएसाग मठ की परिक्रमा की। उन्होंने हंबा लामा को बोधि वृक्ष का एक पौधा भेंट किया। गैनदन मंगोलिया का सबसे बड़ा और बेहद महत्वपूर्ण मठ है। 19वीं सदी के मध्यकाल में निर्मित यह एकमात्र ऐसा मठ है, जहां कम्युनिस्ट काल के दौरान भी बौद्ध परंपराएं जारी रहीं।