बीजिंग : प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के चीन दौरे का आज आखिरी दिन है। पीएम ने आज सुबह शंघाई में उद्योग जगत की हस्तियों के साथ बैठक की। चीन की 20 बड़ी कंपनियों के सीईओ से भी मिले।
लाइव अपडेट
* पीएम मोदी करीब 2 बजे दोपहर में इंडियन एयर फोर्स के विशेष विमान से मंगोलिया के लिए रवाना होंगे।
* इसके बाद पीएम मोदी सांस्कृतिक आदान-प्रदान कार्यक्रम के तहत फुदान यूनिवर्सिटी जाएंगे। वह चीन में रह रहे भारतीय समुदायों को संबोधित करेंगे।
* शंघाई में ही पीएम मोदी का चीन के कई अन्य नेताओं से मुलाकात का कार्यक्रम है।
* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत-चीन बिजनेस फोरम में कहा, चीन और भारत के बीच औद्योगिकी क्षेत्र में भागीदारी से दोनों देशों में निवेश और रोजगार बढ़ेगा और लोगों की संतुष्टि में सुधार होगा। इस अवसर पर, भारत और चीन की कंपनियों के बीच कुल 22 अरब डॉलर मूल्य के 21 समझौतों पर हस्ताक्षर किए गए।
* मोदी ने चीन की कंपनियों को भारत में निवेश के ऐतिहासिक अवसरों का फायदा उठाने का आह्वान किया। प्रधानमंत्री ने कहा, हमने भारत में व्यवसाय का माहौल बनाने और उसमें सुधार लाने का बीड़ा उठाया है। मैं आपको भरोसा दिलाता हूं कि यदि आपने भारत में कदम रखने का फैसला किया तो मुझे पूरा विश्वास है कि आपको कारोबार में उत्तरोत्तर और अधिक आसानी होगी। उन्होंने कहा कि कई चीनी कंपनियां भारत की संभावनाओं का दोहन करने के लिए हमारे यहां निवेश कर सकती हैं। भारत में विनिर्माण, प्रसंस्करण और ढांचागत क्षेत्र में निवेश के विशाल अवसर हैं। भारत में कारोबार की सुगमता के लिए सरकार द्वारा उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए मोदी ने कहा, हम कर व्यवस्था को पारदर्शी, स्थिर और भरोसेमंद बना रहे हैं। हमने कर प्रणाली में बहुत सी प्रतिकूल चीजों को समाप्त कर दिया है।
* प्रधानमंत्री मोदी ने चीन के उद्योग जगत की हस्तियों को भरोसा दिया कि भारत का आर्थिक परिवेश बदल चुका है और चीजें आसान हुई हैं। उन्होंने कहा, हमारी नियामकीय व्यवस्थाएं अब काफी पारदर्शी, संवेदनशील और मजबूत हो चुकी हैं। हम अब विभिन्न विषयों पर दूरगामी और भविष्योन्मुखी दृष्टिकोण अपना रहे हैं। कारोबार में आसानी के लिए अब भी बहुत से उपाय किए जा रहे हैं। मोदी ने कहा कि सरकार ने निवेशकों को परेशान करने वाले बहुत से मुद्दों को सुलझाया है। उन्होंने कहा, हम मानते हैं कि प्रत्यक्ष विदेशी निवेश महत्वपूर्ण है और यह देश में वैश्विक रूप से प्रतिस्पर्धी कारोबारी माहौल के बिना आकर्षित नहीं किया जा सकता। दोनों देशों के ऐतिहासिक संबंधों का उल्लेख करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, भारत और चीन की भागीदारी को फलना-फूलना चाहिए और यह निश्चित रूप से फले फूलेगी। मैं उम्मीद करता हूं कि हमारे दोनों देशों की भागीदारी का परिणाम बहुत अच्छा होगा। हम विगत में एक दूसरे के पूरक रहे हैं और वर्तमान तथा भविष्य में भी हम एक दूसरे का सहयोग कर सकते हैं।
* मोदी ने कहा कि चीन की तरह ही भारत भी विनिर्माण क्षेत्र को व्यापक स्तर पर प्रोत्साहित करना चाहता है ताकि देश की युवा आबादी के लिए रोजगार के अवसर सृजित हों। उन्होंने कहा कि भारत की आबादी का 65 प्रतिशत हिस्सा युवा है। इसलिए हम ‘मेक थिंग्स इन इंडिया’ (चीजों को भारत में ही बनाना) चाहते हैं। हमने इसके लिए मेक इन इंडिया अभियान शुरू किया है। हमें श्रमोन्मुखी उद्योगों के विकास, मजबूत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के लिए माहौल तैयार करने, कौशल विकास, बुनियादी ढांचे के निर्माण और निर्यातोन्मुखी विकास के मॉडल के बारे में आपसे काफी कुछ सीखना है। मोदी ने आज अलीबाबा, मोबाइल फोन कंपनी शियाओमी और कई नामी कंपनियों के मुख्य कार्यकारियों से मुलाकात की।
* भारत-चीन बिजनेस फोरम में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत-चीन के पास एक जैसा इतिहास, चीन के पास प्राचीन ज्ञान से भी भारत को फायदा है। बौद्ध धर्म सफलता का बीज है। तुलसी रामायण का चीनी भाषा में अनुवाद हुआ। गीता और महाभारत का भी चीन में मशहूर है। प्राचीन भारत और चीन विज्ञान में बहुत आगे थे। भारत-चीन के पास विकास की अनंत संभावनाएं हैं। चीन ने गन पाउडर खोजा और भारत ज्योतिष और गणित। भारत का समाज ज्ञान से जुड़ा हुआ है। भारत स्मार्ट सिटी बनाने जा रहा है, 50 शहरों में मेट्रो ट्रेन चलाने की योजना है। स्मार्ट सिटी के लिए एफडीआई की जरुरत है। हमने 14 करोड़ बैंक खाते खोले। 175 गीगा वाट बिजली पैदा करने की योजना है। हमने मेक इन इंडिया शुरू किया। हमें व्यापार के बारे में आप से सीखना होगा। एफडीआई, उद्योग, मजदूरों के हितों के बारे में आप से सीखना होगा। चीनी कंपनियों के लिए भारत में निवेश का अच्छा मौका है। हम कारोबार के लिए माहौल बेहतर बना रहे हैं। व्यापार को इजाजत देने की व्यवस्था पारदर्शी हुई। हमने बीमा क्षेत्र ने 49 फीसदी एफडीआई शुरू किया। हमने बहुत सारे टैक्स खत्म किये। हमने टैक्स प्रणाली में कई बड़े सुधार किए। रोड और रेल के लिए ज्यादा पैसे दिए। बाजार के लिए लागातार अच्छा माहौल बना रहे हैं। हम लाइसेंस की प्रक्रिया को आसान बना रहे हैं। निवेशकों का भरोसा बढ़ाने के लिए कई कदम उठाए हैं। इस साल एफडीआई में 39 फीसदी की बढ़ोतरी हुई है। हम जल्दी की जीएसटी लागू करेंगे।
* शनिवार को भारतीय समयानुसार सुबह 7 बजे पीएम मोदी ने चीन की चुनिंदा बड़ी कंपनियों के सीइओ से मुलाकात की। यहीं पर उन्होंने भारत-चीन बिजनेस फोरम को भी संबोधित किया।
भारत और चीन के बीच कल सहयोग के 24 करार किए गए। इस अवसर पर मोदी और चीन के प्रधानमंत्री ली क्विांग उपस्थिति थे। इन समझौतों में रेलवे, खनन, शिक्षा, अंतरिक्ष, गुणवत्ता निगरानी एवं निरीक्षण, फिल्म एवं टेलीविजन, सागर एवं भूकंप विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग के समझौते शामिल हैं।
भारत और चीन शुक्रवार को सीमा विवाद के जल्द से जल्द राजनीतिक समाधान पर सहमत हुए जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने बीजिंग से कहा कि वह कुछ मामलों पर अपने नजरिए पर दोबारा विचार करे और चीनी पर्यटकों के लिए ई-वीजा और दोनो देशों के बीच हॉटलाइन संचालित करने जैसे विश्वास बहाली उपायों का ऐलान किया।
मोदी ने चीन के प्रधानमंत्री ली के कियांग से बात की और सीमा के सवाल पर हमारी स्थिति पर किसी पूर्वाग्रह के बिना वास्तविक नियंत्रण रेखा को स्पष्ट करने की हिमायत करते हुए कहा, सीमा क्षेत्र के संवेदनशील इलाकों पर अनिश्चितता की छाया हमेशा मंडराती रहती है क्योंकि कोई पक्ष नहीं जानता कि इन इलाकों में वास्तविक नियंत्रण रेखा कहां है।
अपनी तीन दिन की चीन यात्रा के दूसरे दिन मोदी और ली ने ग्रेट हॉल ऑफ पीपुल में 90 मिनट की अपनी बातचीत में व्यापक मुद्दों पर विचार विमर्श किया। इस दौरान व्यापार असंतुलन, आतंकवाद, निवेश, जलवायु परिवर्तन और अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर समन्वय और संयुक्त राष्ट्र सुधारों पर चर्चा की गई। मोदी ने गुप्तचर एजेंसियों की चिंताओं को नजरअंदाज करते हुए चीनी पर्यटकों को ई-वीजा की सुविधा देने का ऐलान कर दिया।
ली के साथ संयुक्त मीडिया संवाद के दौरान भारतीय नेता ने बीजिंग से कहा कि वह हमारे कदमों को पीछे खींच लेने वाले कुछ मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण पर दोबारा विचार करें। यहां उनकी मुराद लंबे समय से अनसुलझे पड़े सीमा मामलों से थी, जिनमें अरूणाचल प्रदेश के निवासियों को चीन द्वारा नत्थी वीजा देने का मामला शामिल है। इस क्षेत्र पर चीन अपना दावा करता है।
सूत्रों ने कहा कि मोदी ने सीमा मुद्दे पर एक स्पष्ट और बेबाक संदेश दिया कि पीछे जाने का कोई सवाल नहीं है और अपनी जगह पर खड़े रहना भी कोई विकल्प नहीं है। दोनो पक्षों ने अपने सैन्यकर्मियों के सीमा मुलाकात स्थलों को मौजूदा चार से बढ़ाकर छह करने का फैसला किया। उन्होंने सीमा पर शांति और सौहार्द बनाए रखने को रिश्तों की सतत् बढ़वार और विकास के लिए महत्वपूर्ण कारक बताया।
यह याद दिलाते हुए कि भारत और चीन के संबंध पिछले कुछ दशकों से पेचीदा रहे हैं, मोदी ने कहा कि दोनो देशों की यह ऐतिहासिक जिम्मेदारी है कि वह अपने संबंधों को एक दूसरे के लिए शक्ति का स्रोत बनाएं और विश्व के कल्याण के लिए एक ताकत बनाएं। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि दोनो देशों को एक दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील होना होगा और वीजा नीतियों से लेकर सीमापार नदियों तक के परेशान करने वाले मामलों के सकारात्मक समाधान के बारे में सोचना होगा।
मोदी ने ली के साथ अपनी बातचीत को स्पष्ट, सकारात्मक और मित्रवत बताया, जिसमें सभी मुद्दों पर बात हुई। ली ने कहा कि मिलकर विकास मे नजदीकी भागीदारी तैयार करने के लिए चीन भारत के साथ काम करने के लिए तैयार है। बाद में सिंघुआ विश्वविद्यालय में अपने संबोधन में मोदी ने कहा, अगर हमें हमारी भागीदारी की जबर्दस्त क्षमता को महसूस करना है तो हमें हमारे रिश्तों में संकोच, शंकाओं और यहां तक कि अविश्वास पैदा करने वाले मामलों को सुलझाना होगा।
इस संबंध में द्विपक्षीय समझौतों, करारों और सीमा तंत्र को उपयोगी बताते हुए उन्होंने कहा, मैंने एलएसी के स्पष्टीकरण की प्रक्रिया शुरू करने का सुझाव दिया है। हम सीमा मसले पर हमारे पूर्वाग्रह के बिना ऐसा कर सकते हैं। मोदी ने कहा, सबसे पहले, हम सीमा के सवाल को जल्दी हल करने का प्रयास करें। हम दोनो इस बात से वाकिफ हैं कि यह इतिहास की धरोहर है। इसे सुलझाना भविष्य के लिए हमारी साझा जिम्मेदारी है। हमें नये उद्देश्यों और प्रतिबद्धताओं के साथ आगे बढ़ना होगा।