बीजिंग। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कहा कि बीते दशकों में भारत और चीन के संबंध में बेहद जटिलता रही है। अब यह हमारी ऐतिहासिक जिम्मेदारी है कि हम अपने रिश्तों को सुधार कर विश्व के सामने एक मिसाल कायम करें।
भारत-चीन के बीच समझौतों के बाद संयुक्त संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि अपनी सरकार के पहले ही साल में चीन आने से उन्हें बहुत खुशी मिली है। उन्होंने कहा कि शिआन हमारी सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक है।
मोदी ने कहा कि हमने सीमा पर शांति पर जोर दिया है। चीन को उन मुद्दों पर अपना नजरिया बदलने पर जोर दिया है जो हमारी साझेदारी की ताकत को कमजोर कर रहे हैं।
मोदी ने कहा कि दोनों देश लंबे समय से लटके मुद्दों को सुलझाने की दिशा में आगे बढ़े हैं। दोनों देश पर्यटन को बढ़ावा देंगे, जून के महीने से नाथुला के जरिए कैलाश मानसरोवर जा सकेंगे।
मोदी ने कहा कि क्लाइमेट चेंज, आतंकवाद और पश्चिम एशिया में हिंसा दोनों देशों के लिए चिंता का विषय है। उन्होंने कहा किहमने अपनी आर्थिक साझेदारी के लिए भी ऊंचा लक्ष्य रखा है। मोदी ने कहा कि हमारी कोशिश होगी कि दोनों देशों के बीच एक-दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशीलता बढ़े।
केंद्र-राज्यों के बीच अच्छे संबंध जरूरी
मोदी ने कहा कि देश के विकास के लिए केंद्र और राज्यों के बीच अच्छे संबंध होने जरूरी है।
चीन के प्रांतीय नेताओं को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा कि राज्य सरकारोंके साथ हम पार्टनरशिप की भावना के साथ काम करते हैं। राज्यों के अलग मुद्दे होते हैं और केंद्र सरकार उनसे कई मुद्दों पर सीख ले सकती है।
एलओसी पर सकारात्मक वार्ता
विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि भारत-चीन के बीच एलओसी पर सकारात्मक बातचीत हुई है। सीमा से जुड़े मुद्दों पर बात आगे बढ़ी है।
मीडिया को संबोधित करते हुए जयशंकर ने कहा कि पीओके में चीन का निवेश बढऩे पर भी बात हुई। बढ़ते आतंकवाद पर चीन ने भी अपनी चिंता जताई है।
उन्होंने बताया कि आर्थिक मुद्दों पर हाई लेवल टास्क फोर्स बनाई जाएगी और राज्यों के प्रमुखों व मुख्यमंत्रियों के दौरों में वृद्धि की जाएगी।
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