बिहार विधान परिषद की 24 सीटों के लिए 4 अप्रैल को हुए मतदान के बाद शुक्रवार 8 अप्रैल को मतगणना हुई। सत्तारूढ़ राजग ने आधे से अधिक सीटों पर कब्जा कर अपना दबदबा बरकरार रखा है। लालू प्रसाद की पार्टी राजद ने भी इस चुनाव में छह सीटें जीत कर अपनी सीटों की संख्या में सुधार करने में कामयाबी हासिल की। हालांकि उसने 23 सीटों पर चुनाव लड़ा था जो किसी भी पार्टी के लिए सबसे ज्यादा संख्या थी। इस चुनाव में चौकाने वाली बात यह है कि विद्रोहियों ने निर्दलीय के रूप में चुनाव लड़कर चार निर्वाचन क्षेत्रों में जीत हासिल की है।

बिहार में सत्तारूढ़ राजग में शामिल भाजपा ने 12 पर चुनाव लड़ा था और उसने सात सीटों पर जीत हासिल की। लेकिन पार्टी को सारण जैसी जगहों पर शर्मिंदगी का सामना करना पड़ा, जो पूर्व एमएलसी सच्चिदानंद राय की झोली में गया। राय एक अनुभवी भाजपा नेता थे, जो अपनी पुरानी सीट से टिकट से वंचित होने पर निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू ने पांच निर्वाचन क्षेत्रों में ही जीत हासिल की है। खली हुई 24 सीटों में पहले आठ सीटों पर जदयू का कब्जा था, इसबार जदयू ने अपनी तीन सीटें गंवा दी। हालाकि जदयू की इस जीत में मुख्यमंत्री के पैतृक जिला नालंदा (रीना यादव) में एक जोरदार जीत के अलावा मुजफ्फरपुर में दिनेश सिंह और भोजपुर में राधाचरण सेठ द्वारा भारी जीत भी शामिल है।

राजद के छह विजयी उम्मीदवार संख्यात्मक रूप से छोटे लेकिन सामाजिक और राजनीतिक रूप से प्रभावशाली समूह से हैं। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि राजद विजेताओं में से तीन भूमिहार जाति से हैं। अपने मौजूदा प्रदर्शन के साथ राजद के पास अब अपनी नेता राबड़ी देवी के लिए विपक्ष के नेता के पद को बनाए रखने के लिए 75 सदस्यीय विधान परिषद में पर्याप्त संख्या है।