जगदलपुर । जंगलों में मिले दो युवा दिल, थामा था नक्सलवाद का हाथ लेकिन संगठन ही उनके प्रेम के आड़े आ गया। आखिरकार बंदूक के आगे प्रेम की विजय हुई और युवा नक्सली जोड़े ने पुलिस के आगे हथियार डाल समाज की मुख्यधारा में शामिल होने का एलान किया। पूर्वी बस्तर डिवीजन मिलिट्री कंपनी छह के कमांडर संपत उर्फ सुट्टे का प्यार दलम में रहते हुए ही परवान चढ़ा। उसकी प्रेयसी आसमति उर्फ आसो जंगल में नक्सलियों का इलाज करती थी।

समर्पण के बाद युवा जोड़े ने नक्सलियों पर जमकर भड़ास निकाली। कहा कि बस्तर में नक्सल नेता यह प्रचारित करते हैं कि समर्पण करने पर पुलिस गोली मार देगी। लेकिन जब नेताओं की बात आती है तो वे आंध्र प्रदेश जाकर समर्पण कर देते हैं और बेहतर जीवन अपना लेते हैं। संपत व आसो ने नक्सल संगठन में रहते हुए ही 2006 में अपने प्रेम को सार्वजनिक किया और संगठन के अनुरूप विवाह की औपचारिकता भी निभाई। लेकिन जैसे ही इसका पता दंडकारण्य स्पेशल जोनल कमेटी के प्रभारी राजू उर्फ रामचंद रेड्डी को चला उसने संपत की नसबंदी करवा दी व प्रेमी जोड़े को अलग होने का फरमान सुना दिया। जबकि आंध्र प्रदेश के नक्सली नेता खुद नसबंदी नहीं कराते।