नई दिल्ली: संसद के बजट सत्र का बुधवार को आखिरी दिन है। मोदी सरकार आज राज्यसभा में कालाधन वि धेयक को पेश कर सकती है। गौर हो कि कालाधन विधेयक के साथ ही सरकार के सामने कंपनी विधेयक को भी पास कराने की चुनौती है। बता दें कि ये दोनों विधेयक लोकसभा से पहले ही पारित हो चुके हैं। वहीं, कांग्रेस ने दोनों विधेयकों को उच्च सदन में पास कराने में मदद करने को लेकर सरकार को भरोसा दिलाया है।
वहीं, भूमि अधिग्रहण विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजे जाने के साथ अब सरकार को उम्मीद है कि मानसून सत्र में इस विधेयक को पारित करा लिया जाएगा। सूत्रों ने कहा कि विधेयक को संयुक्त समिति के पास भेजकर सरकार ने समय बचाया है और इस साल अगले सत्र के आखिर तक कानून का क्रियान्वयन हो जाएगा। उन्होंने यह भी कहा कि समिति की रिपोर्ट राज्यसभा के पास आ जाएगी तो नियमों के तहत कोई सदस्य इसे उसी संयुक्त समिति के पास भेज सकेगा। राज्यसभा भी अब इस विधेयक को अपनी प्रवर समिति के पास नहीं भेजेगी क्योंकि इस पर दोनों सदनों की संयुक्त समिति विचार कर रही है।
इससे पहले, विदेशों में रखे कालेधन की समस्या से निपटने के लिये लाया गया कड़े प्रावधानों वाला विधेयक सोमवार को लोकसभा में पारित हो गया। विधेयक में अघोषित विदेशी संपत्ति और आय पर 120 प्रतिशत की दर से कर और जुर्माना लगाने और 10 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान है। नया कानून लागू होने से पहले लोगों को अपनी अघोषित आय और संपत्ति की घोषणा करने के लिये सीमित अवधि के लिये सुविधा उपलब्ध कराई जाएगी। इसमें वह अघोषित संपत्ति पर 30 प्रतिशत की दर से कर और इतना ही जुर्माना देकर दंड से बच सकते हैं।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने लोकसभा में विधेयक पर हुई चर्चा का उत्तर देते इन आशंकाओं को दरकिनार कर दिया कि इस कड़े कानून के प्रावधान से मासूम लोगों को प्रताड़ित किया जा सकता है। उनहोंने कहा कि सरकार छोटे मोटे उल्लंघन के खिलाफ कारवाई नहीं करेगी बल्कि बड़ी मछलियों को जाल से नहीं निकलने देना चाहती है। वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने विधेयक को ध्वनिमत से पारित कर दिया। इसमें सरकार को विपक्ष का भी समर्थन मिला। अघोषित विदेशी आय और आस्तियां (कर अधिरोपण) विधेयक 2015 को आगे बढ़ाते हुये जेटली ने कहा कि जिन लोगों की विदेशों में अघोषित आय और संपत्ति है वह यदि कर देकर अपनी छवि साफ करना चाहते हैं तो उनके लिये सीमित अवधि के लिए सुविधा उपलब्ध होगी, जिसमें वह ऐसी संपत्ति पर 30 प्रतिशत की दर से कर और 30 प्रतिशत जुर्माना देकर दंड से छुटकारा पा सकते हैं।