यमुनानगर। लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी की खोज में बड़ी कामयाबी दिखी है। जिस क्षेत्र में भूमि का जल स्तर 85 फुट तक गिर गया हो, वहां महज आठ-नौ फुट पर ही जलधारा बह निकली। जरा सी गहराई पर पानी के स्त्रोत का मिलना उस भगीरथ प्रयास का नतीजा है, जिसके तहत लुप्त हो चुकी सरस्वती नदी को तलाशा जा रहा है। इस अभियान के लिए खट्टर सरकार ने 50 करोड रूपए जारी किए गए थे। कई दिनों से सरस्वती के उद्गम स्थल माने जाने वाले आदिबद्री क्षेत्र में गांव मुगलवाली के पास चल रही खुदाई में मंगलवार शाम 4 बजे अचानक जलधारा फूट पडी।
इसे सरस्वती नदी खोज अभियान की बडी सफलता माना जा रहा है। यह खुदाई हरियाणा विधानसभा के अध्यक्ष कंवरपाल ने 21 अप्रैल को शुरू कराई थी। जलधारा फूटने की सूचना के तुरंत बाद उपायुक्त डॉ. एसएस फुलिया सहित लोगों का हुजूम वहां उमड पडा। इस बीच जगाधरी के एसडीएम प्रेमचंद और डीडीपीओ गगनदीप सिंह ने भी खुदाई की। सरस्वती नदी के बारे में केवल पुराणों में ही जानकारी मिलती है। अब यह भी शोध का विषय बन गया है कि क्या सरस्वती की धारा ऊपर उठ रही है आदिबद्री क्षेत्र सरस्वती का उद्गम स्थल माना जाता है।
वहां से 5 किलोमीटर दूर रूलाहेडी से इस नदी की खुदाई शुरू की गई थी। बताया जाता है कि यहां एक बडा जलाशय बनाया जाएगा और पाहाडों पर होने वाली बरसात और सोम नदी के पानी को इकटा कर सरस्वती नदी को एक बडी नदी के रूप में प्रवाहित किया जाएगा। मंगलवार को अधिकारियों ने यह करिश्मा देखा तो हर कोई नतमस्तक होकर खुदाई में योगदान देने लगा। डीसी डॉ एसएस फुलिया व एसडीएम के साथ डीडीपीओ ने कस्सी से जमीन को खोदना शुरू कर दिया। जैसे-जैसे खुदाई बढ़ी, पानी की मात्रा बढ़ती चली गई। सरस्वती की इस खोज में मुस्लिम समुदाय का अहम योगदान रहा।
यहां खुदाई मुस्लिम परिवार के हाथों हुई। मेहनत का सकारात्मक नतीजा आते ही मुस्लिम समुदाय के इन लोगों ने बहुत खुशी जताई। अपको बता दें कि यमुनानगर के इस स्थल का जिम्मा डीडीपीओ गगनदीप सिंह के पास था। 88 वर्षीय बुजुर्ग की मेहनत का फल सरस्वती नदी के मिलने पर जो जश्न आज मनाया जा रहा है, असल में वह 88 वर्षीय बुजुर्ग एवं आरएसएस के पुराने कार्यकर्ता दर्शनलाल जैन की मेहनत का प्रतिफल है। उन्होंने सरस्वती नदी के लिये सार्ल 1999 में सरस्वती निधि शोध संस्थान बनाया और तब से अनवरत संघर्ष कर रहे हैं।