अलीगढ़। मतदाताओं ने बसपा को फिर जोर का झटका दिया है। न तो बसपा की सोशल इंजीनियरिंग सफल हो पाई और न अगड़ा-पिछड़ा कार्ड चला। सातों सीटों पर पार्टी का सूपड़ा साफ हो गया। प्रत्याशी मुख्य मुकाबले तक में नहीं आ पाए और दूसरे नंबर पर के लिए संघर्ष करते रहे, फिर भी सफलता नहीं मिली। अंततः सभी की जमानत जब्त हो गई। ऐसा पहली बार नहीं है, पांच बार पहले भी ऐसा हुआ जब बसपा का खाता न खुला हो।बसपा ने सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ाइस चुनाव में बसपा ने सभी सीटों पर अकेले चुनाव लड़ा। शहर सीट से रजिया खान, कोल सीट से मो. बिलाल, अतरौली से डा. ओमवीर सिंह, छर्रा से तिलकराज यादव, खैर से चारू कैन, इगलास से सुशील कुमार व बरौली से नरेंद्र शर्मा को मैदान में उतारा। इस तरह शहर सीट पर मुस्लिम कार्ड, अतरौली पर जाट कार्ड खेला। खैर सीट सुरक्षित थी, लेकिन यहां भी जाट कार्ड खेला। आरक्षित वर्ग से आने वाली चारू केन पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष तेजवीर सिंह गुड्डू की पुत्रवधू हैं। यह अलग बात है कि बसपा का कोई कार्ड नहीं चला। दरअसल, इस बार अधिकतर मुस्लिम मतदाताओं ने सपा-रालोद गठबंधन के लिए वोट किया। ऐसे में बसपा के पास कैडर वोट बैंक (उसमें भी सेंध लगी) के अलावा कुछ नहीं था। प्रत्याशी सजातीय वोट भी प्राप्त नहीं कर पाए और दूसरे नंबर के लिए ही संघर्ष करते नजर आए। कई सीटों पर तो ऐसा लगा कि बसपा प्रत्याशी चुनाव लड़ भी रहें हैं या नहीं। बसपा के लिए ये नतीजे पूरी तरह अप्रत्याशित रहे। खैर, इगलास, छर्रा, बरौली पर तो बड़े अंतर से जीत को लेकर पार्टी नेता आश्वस्त थे, लेकिन खाता नहीं खुला। इससे पूर्व 1989, 1991, 1993, 1996 व 2017 में भी बसपा का खाता नहीं खुल पाया था।पूर्व में रामकुमार शर्मा व मोहम्मद आरिफ की जमानत जब्तकोल सीट पर रामकुमार शर्मा चौथे नंबर, शहर से मोहम्मद आरिफ ब तीसरे नंबर, अतरौली से चौ. इलियास तीसरे नंबर, बरौली सीट से ठा. जयवीर सिंह दूसरे नंबर, खैर से राकेश मौर्य दूसरे नंबर व इगलास से राजेंद्र कुमार दूसरे नंबर पर रह गए। तब भी बसपा की सोशल इंजीनियिरंग विफल हो गई थी। रामकुमार शर्मा व मोहम्मद आरिफ की जमानत जब्त हो गई थी।नतीजे बसपाइयों को मायूस करने वाले रहेइतिहास पर नजर डालें तो बसपा के छह विधायक ही अब तक निर्वाचित हुए। 2002 में कोल से चौ. महेंद्र सिंह, बरौली से ठा. जयवीर सिंह व खैर से प्रमोद गौड़ चुनाव जीते थे। 2007 में कोल से चौ. महेंद्र सिंह व बरौली से ठा. जयवीर सिंह ने बसपा को फिर जीत दिलाई। 2004 के उप चुनाव में पूर्व मंत्री रामवीर उपाध्याय के भाई मुकुल उपाध्याय ने इगलास सीट से जीत हासिल की। इस बार के नतीजे बसपाइयों को मायूस करने वाले रहे।
बसपा की सोशल इंजीनियरिंग सफल हो पाई और न चला अगड़ा-पिछड़ा कार्ड
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