न्यूयॉर्क : मानव रहित नासा का अंतरिक्ष यान अपना 11 साल का मिशन पूरा करने और ईंधन खत्म हो जाने के बाद बुध ग्रह की सतह पर आकर क्रैश हो गया। अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी ने गुरुवार को ये जानकारी दी।
जानकारी के मुताबिक, रोबोटिक स्पेसक्राफ्ट मैसेंजर का ईंधन खत्म हो चुका था। यह मर्करी के धरातल पर 8750 माइल प्रति घंटे (3.91 किमी प्रति सेकंड) की रफ्तार से क्रैश हुआ। भारतीय समयानुसार, यह 30 अप्रैल की रात करीब एक बजे के करीब क्रैश हुआ है।
पिछले 11 साल तक धरती से इस रोबोट को नियंत्रण करने वाले वैज्ञानिक इसे सफल मिशन बता रहे हैं। इस स्पेसक्राफ्ट को 3 अगस्त, 2004 को लॉन्च किया गया था। सात साल तक यह रोबोटिक स्पेसक्राफ्ट का चक्कर लगाते रहा। सूर्य के 15 चक्कर लगाने के साथ इसने करीब आठ अरब किमी की दूरी तय की। इसके अलावा, इसने अर्थ, वीनस और मर्करी जैसे प्लेनेट का भी चक्कर लगाया। अंत में 18 मार्च, 2011 को मर्करी के ऑर्बिट में शामिल हुआ। इस प्रकार का यह पहला मिशन बना।
मर्करी पर स्पेसक्राफ्ट ने करी एक साल का वक्त बिताया, लेकिन जब शुरुआती खुलासों पर नए सवाल उठे तो नासा ने मिशन एक्टेंशन की मंजूरी देते हुए इसे अतिरिक्त तीन साल का वक्त दे दिया। इस दौरान मिशन इंजीनियर्स ने फ्यूल बचाने का रास्ता खोज निकाला और इसके कारण यह मर्करी के ऑर्बिट पर वक्त गुजारा। इससे पहले 70 के दशक में मैरिनर 10 ने इस प्लेनेट का करीब से फोटो लिया था, लेकिन उन तस्वीरों में मर्करी के धरातल पर बड़ा गैप दिखा था।
स्पेसक्राफ्ट से पता चला कि मर्करी पर दिन में तापमान 430 डिग्री सेल्सियस तक जाता है और रात के वक्त यह तापमान गिर कर -290 डिग्री फारेनहाइट्स (-180 डिग्री सेल्सियस) पहुंच जाता है। पिछली बार स्पेसक्राफ्ट मर्करी के होरिजन के पीछे लापता हो गया था। तब कहा जा रहा था कि प्लेनेट के सरफेस को यूरोपियन स्पेस एजेंसी के 2020 में बीपीकोलंबो मिशन के पहले कोई स्कैन नहीं कर पाएगा। हालांकि, अब कहा जा रहा है कि मर्करी के सरफेस से जुड़ी जो जानकारियां मैसेंजर ने फोटो के जरिए भेजी हैं, वो आने वाले दिनों में मददगार साबित होंगी।
11 साल का मिशन पूरा कर क्रैश हुआ नासा का रोबोटिक स्पेसक्राफ्ट
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