भोपाल । मप्र में बिजली का ऐसा खेल खेला जा रहा है जिससे उपभोक्ता पर लगातार भार बढ़ रहा है, लेकिन पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है। बिजली कटौती के खेल को दबाने के लिए कागजों में डिमांड ही घटा दी है। जबकि बिजली डिमांड हर साल 10 से 15 फीसदी तक बढ़ती है, लेकिन इस साल डिमांड कम या स्थिर बनी हुई है। प्रदेशभर में किसान बिजली कटौती से परेशान हैं। बिजली कटौती के खेल को ऐसे समझा जा सकता है कि पिछले साल जहा अक्टूबर में 7 अरब 25 करोड़ 28 लाख 19 हजार यूनिट बिजली सप्लाई हुई थी, वहीं इस साल अक्टूबर में 6 अरब 59 करोड़ 46 लाख 97 हजार यूनिट बिजली सप्लाई हुई। यानी इस साल अक्टूबर में पिछले साल अक्टूबर से 65 करोड़ 81 लाख 22 हजार यूनिट कम बिजली सप्लाई हुई। गौरतलब है कि प्रदेश सरकार ने 22 हजार मेगावॉट बिजली का अनुबंध कर रखा है। इसके बाद भी किसानों को जरूरत के समय पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है। दावा 10 घंटे बिजली देने का किया जा रहा है, लेकिन बिजली बमुश्किल 5 से 6 घंटे ही मिल रही है। बिना किसी सूचना के कभी भी बिजली कटौती कर दी जाती है। इस साल तो स्थिति पिछले से भी ज्यादा खराब है।


दावे और हकीकत में काफी अंतर
प्रदेशभर में किसान बिजली कटौती से परेशान हैं। भोपाल से सटे गांवों से लेकर दूर- दराज तक के जिलों में अघोषित बिजली कटौती की जा रही है। सरकार का दावा है कि ग्रामीण और शहरी दोनों ही क्षेत्रों में 24 घंटे बिजली दी जा रही है, लेकिन हकीकत इसके उलट है। खेतों में बड़े पैमाने पर बिजली कटौती हो रही है। राजधानी के आसपास के ग्रामीण इलाकों में ही खेतों को बिजली ठीक से मुहैया नहीं हो रही। बिलखिरिया, सांकल, टांडा, लालपुरा, डंगरोली. जमुनिया, पडरिया, पिपलिया, बांसिया ऐसे लगभग 100 गांव हैं, जहां पर बिजली की ठीक से नहीं आ रही है। प्रदेश के अन्य जिलों का हाल तो और भी बुरा है। बड़े स्तर पर गांव ऐसे हैं, बनखेड़ी,  जहां खेतों में बिजली मौजूद नहीं है। ट्रिपिंग और फाल्ट बताकर बिजली कटौती की जा रही है।


कहीं 4 से 5 तो कही 6 से 8 घंटे बिजली
सरकार प्रदेश में पर्याप्त बिजली का दावा भले ही कर रही है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में स्थिति चिंताजनक है। राजगढ़ जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में बिजली कभी भी आती है और जाती है। 24 घंटे में 4 से 5 घंटे ही बिजली रहती है। कृषि के लिए शिफ्ट में लाइट दी जाती है। किसानों को 6 से 8 घंटे बिजली मिल पा रही है। हरदा जिलों में तय शैड्यूल के मुताबिक तो किसानों को 10 घंटे  बिजली मिल रही है, लेकिन हकीकत में 5 से 6 घंटे ही बिजली मिल रही है। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में 3 से 4 घंटे की कटौती की जा रही है। सागर जिले के गांवों भी बिजली कटौती से जूझ रहे हैं। यहां कृषि फीडरों को तो 4 से 5 घंटे ही बिजली मिल रही है। शाहगढ़, मालथौन, राहतगढ़ सहित अन्य सभी क्षेत्रों का यही हाल है। गांवों में सिंगल फेस के बिजली कनेक्शन की लाइट तो कभी भी चली जाती है। अशोकनगर में किसानों को सिंचाई के लिए 10 घंटे बिजली दी जा रही है। वहीं गांवों में  बिजली की कटौती जारी है। अशोकनगर के खेता और खैरई गांव को कटौती के बाद 12 घंटे तो कभी 20 घंटे बिजली मिल जाती है।


 तय शेड्यूल से आधी बिजली
हर साल 10 फीसदी तक डिमांड बढ़ती है। दीपावली के समय तो डिमांड और ज्यादा बढ़ जाती है, लेकिन इस साल डिमांड पिछले साल से भी कम हो गई। वजह है लगातार हो रही अघोषित बिजली कटौती। स्थिति यह है कि इस साल अक्टूबर के महीने में बिजली कंपनियों ने पिछले साल अक्टूबर से 65 करोड़ 81 लाख 22 हजार यूनिट कम बिजली दी है। जबकि 100 करोड़ यूनिट के करीब बिजली की सप्लाई बढऩा थी। इससे तय है कि बिजली कटौती धड़ल्ले से की जा रही है। सिंचाई के समय में किसानों को तय शैड्यल के मुताबिक कहीं भी बिजली नहीं मिल रही है। अधिकारियों की माने तो किसानों को दो फीडरों में 10 घंटे बिजली दी जा रही है, लेकिन हकीकत यह है कि किसानों को 5 से 6 घंटे ही बिजली मिल रही है। इसमें कई बार वोल्टेज कम रहता है। मोटर नहीं चल पाती है। इससे किसान रातभर जागने के बाद भी फसलों को पानी नहीं दे पाते।