टोक्यो : बिना सेक्स के जीने से उन मादा जीव-जंतुओं का स्वास्थ्य भी प्रभावित होता है, जिन्होंने समय पर नर से समागम किए बिना क्लोनिंग के जरिए संतति उत्पन्न करने की क्षमता हासिल कर ली है।
विकास क्रम में कुछ जल और थल दोनों ही जगह जीवित रह सकने वाली कुछ प्रजातियों, कुछ सरीसर्पों और कुछ मछली प्रजातियों की मादाओं में सेक्स के बिना वंश को आगे बढ़ा पाने की क्षमता आ गई है। अध्ययन में पाया गया है कि जिन प्रजातियों की मादाओं में बिना नर के संतान पैदा करने की क्षमता का विकास हो गया है, उनमें भी अधिकाधिक संख्या में स्वस्थ्य संतति के लिए प्रजनन आवश्यक है। इस तरह से वैसी प्रजातियों में भी नर की भूमिका किसी तरह कम नहीं हुई है।
जापान में ओकिनावा इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस एंड टेक्नेलॉजी ग्रेजुएट युनिवर्सिटी (ओआईएसटी) ने लिटिल फायर एंट को अपने एक अध्ययन के लिए चुना और सेक्स पर आधारित प्रजनन से क्लोन आधारित प्रजनन की तरफ स्थानांतरण की अपेक्षाकृत ताजातरीन प्रक्रिया का अध्ययन किया। इस प्रजाति में कुछ आबादी ऐसी होती है, जो समागम के माध्यम से प्रजनन करते हैं, जबकि उसी प्रजाति की कुछ अन्य आबादी में क्लोन आधारित प्रजनन होता है। फिर भी दोनों तरह की आबादी में नर होते हैं। शोधार्थियों ने दोनों तरह की आबादी का अध्ययन किया।
उन्होंने पाया कि जो रानी गर्भधारण कर अंडे देती है, उनके सभी अंडों में से बच्चे निकलते हैं, जबकि बिना सेक्स अंडे देने वाली रानी के मामले में अधिकतर अंडे भ्रूण विकास की अवस्था को पार नहीं कर पाते और खराब हो जाते हैं। नर के साथ सेक्स करने वाली रानी क्लोन के जरिए अंडे देने वाले की तुलना में अधिक स्वस्थ्य संतति उत्पन्न करती है। सेक्स करने वाली रानी का स्वास्थ्य भी बेहतर रहता है, जो कि उनकी अधिक अंडे देने की क्षमता और हर अंडे से बच्चे पैदा होने की क्षमता से पता चलता है। नतीजतन ऐसी रानी एक स्वस्थ्य आबादी का निर्माण करती है। न्यू मैक्सिको के रेगिस्तान में पाई जाने वाली व्हिपटेल गिरगिट प्रजाति में सिर्फ मादा होती है। वे भी अंडे का विकास होने से पहले नकली सेक्स प्रक्रिया को अंजाम देते हैं।
अध्ययन दल के एक सदस्य और प्रोफेसर अलेक्जेंडर मिखयेव ने कहा कि इन उदाहरणों से पता चलता है कि उद्भव की प्रक्रिया ने सेक्स को पूरी तरह से समाप्त करने पर एक तरह से रोक लगा रखी है।