नई दिल्ली । केन्द्रीय गृह मंत्रालय के राजभाषा विभाग द्वारा आज उत्तर प्रदेश के कानपुर में उत्‍तर-1 तथा उत्‍तर-2 क्षेत्रों में स्थित केंद्र सरकार के कार्यालयों, बैंकों एवं उपक्रमों इत्‍या‍दि के लिए संयुक्‍त क्षेत्रीय राजभाषा सम्‍मेलन एवं पुरस्‍कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर राजभाषा विभाग के ट्विटर हैंडल का उद्घाटन भी किया गया। राजभाषा विभाग द्वारा संवैधानिक दायित्‍वों के निर्वहन की दिशा में प्रचार-प्रसार किया जाता है और इस हैंडल के माध्‍यम से राजभाषा के प्रचार-प्रसार को और गति मिलेगी। सम्मेलन के मुख्‍य अतिथि केन्द्रीय गृह राज्य मंत्री नित्‍यानंद राय ने अपने संबोधन में कहा कि भारत को एकता के सूत्र में बांधने में हिंदी की महत्‍वपूर्ण भूमिका है। उन्होने कहा कि किसी भी देश की भाषा उसकी अस्‍मिता का प्रतीक होती है। भारत के स्‍वतंत्रता आंदोलन से लेकर आज तक राष्‍ट्रीय एकीकरण का सबसे शक्‍तिशाली और सशक्‍त माध्‍यम हिंदी रही है। हिंदी न केवल हमारी राजभाषा है बल्‍कि भारतीय जन-मानस की भाषा है। हिंदी एक समृद्ध, सशक्‍त एवं सरल भाषा है। राय ने कहा कि इतिहास गवाह है कि स्वाधीनता आंदोलन के दौरान हिन्दी ने पूरे देश को एकजुट रख कर देशवासियों में राष्ट्र प्रेम और स्‍वाभिमान की अदभुत भावना जागृत करने में अहम भूमिका निभाकर ‘अनेकता में एकता’ की संकल्पना को पुष्ट किया। स्‍वतंत्रता संग्राम के दौरान स्‍वराज, स्वदेशी और स्‍वभाषा पर बल दिया था। यह हमारा राष्‍ट्रीय मत था कि बिना स्‍वदेशी व स्‍वभाषा के स्‍वराज सार्थक नहीं होगा । हमारे राष्‍ट्रीय नेताओं की यह दृढ़ धारणा थी कि कोई भी देश अपनी स्‍वतंत्रता को अपनी भाषा के अभाव में मौलिक रूप से परिभाषित नही कर सकता और ना ही उसका अनुभव कर सकता। उन्‍होंने कहा कि इस संदर्भ में महात्‍मा गांधी जी ने कहा था  ‘स्‍वतंत्रता आंदोलन मेरे लिए केवल स्‍वराज का नहीं अपितु स्‍वभाषा का भी प्रश्‍न है। नित्‍यानंद राय ने कहा कि भारत जैसे विशाल लोकतांत्रिक देश में सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ देश के अंतिम व्‍यक्‍ति तक पहुंचाने के लिए भाषा का अत्‍यधिक महत्‍व है। सरकार की कल्‍याणकारी योजनाएं तभी प्रभावी बन सकेंगी जब देश का हर वर्ग उनसे लाभान्‍वित हो ताकि ‘सबका साथ सबका विकास’ का उद्देश्य पूरा हो सके । मातृभाषा के उपयोग से भ्रष्‍टाचार भी समाप्‍त हो सकता है और सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ आम जनता को मिल सकता है। इसके लिए आवश्‍यक है कि शासन का काम-काज आम जनता की भाषा में निष्‍पादित किया जाए। उन्होने कहा कि हमारे लिए यह समझना जरूरी है कि राजभाषा हिंदी के माध्‍यम से देश की जनता की सामाजिक, आर्थिक एवं सांस्‍कृतिक सभी प्रकार की अपेक्षाओं को पूरा करने वाली योजनाओं व कार्यक्रमों को आखिरी सिरे तक पहुंचाना सरकारी तंत्र का अति महत्‍वपूर्ण कर्तव्‍य है और उसकी सफलता की कसौटी भी। यदि हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र निरंतर प्रगतिशील और जीवंत रहे तों हमें संघ के कामकाज में हिंदी का और राज्‍यों के कामकाज में उनकी प्रांतीय भाषाओं का प्रयोग बढ़ाना होगा। राय ने कहा कि इसलिए मेरा विचार है कि हमें अंग्रेजी की बजाय अपनी स्थानीय भाषाओं का अधिकाधिक प्रयोग करना चाहिए।